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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ _ ये सभी मन्दिर दिगम्बर सम्प्रदाय के हैं। मुहल्ला कटरामें एक श्वेताम्बर मन्दिर है जो आधुनिक है। इतिहास
प्राचीन कालमें अयोध्या सांस्कृतिक चेतनाका केन्द्र रही है। साथ ही यह राजनीतिक केन्द्र .. भी थी। सर्वप्रथम यह इक्ष्वाकुवंशी नरेशोंकी राजधानी रही। अन्तिम मनुसे लेकर इक्ष्वाकुवंशी ११२ पीढ़ियोंने इस नगरपर शासन किया। इक्ष्वाकुवंशी पश्चाद्वर्ती कालमें सूर्यवंशी और पुरुवंशी कहलाने लगे। अयोध्याका राज्य कौशल कहलाता था। भगवान् महावीरसे पहले जिन सोलह जनपदोंकी चर्चा आती है, उनमें कोशल भी एक प्रसिद्ध जनपद था। भगवान् महावीरके कालमें कोशल राज्य दो भागोंमें बँट गया-उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल । सरयू नदी इन दोनोंकी सीमा बनाती थी। दक्षिण कोशलकी राजधानी अयोध्या रही और उत्तर कोशलकी श्रावस्ती। आगे चलकर गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्यके कालमें अयोध्या साहित्य और कलाकी केन्द्र बन गयी। चीनी यात्री ह्वेन्त्सांगके समयमें इस नगरका विस्तार १० ली (४ मील ) था। बारहवीं शताब्दीके बाद भार जातिके राजाओंका इसपर अधिकार हो गया। ये राजा जैनधर्मावलम्बी थे। इनके कारण सारे अवधमें जैनधर्मका खूब प्रचार रहा। इन राजाओंको मुसलमानों ने परास्त किया। सर्वमान्य तीर्थ
जैनोंकी तरह हिन्दू और बौद्ध लोग भी अयोध्याको शाश्वत नगरी मानते हैं। हिन्दुओंकी मान्यता है कि अयोध्या सप्त महापुरियोंमें प्रथम पुरी है। किन्तु हिन्दुओं में इस तीर्थकी मान्यता मुख्यतः भगवान् रामके कारण है। इसलिए यहाँके अधिकांश हिन्दू मन्दिर राम और उनके परिकरसे सम्बन्धित हैं। हिन्दुओंके मुख्य मन्दिरोंमें कनक भवन, जिसे सीताजीका महल कहते हैं और राम-मन्दिर, जो रामकी जन्मभूमि कहलाता है, हैं।
यहाँ एक दन्तून कुण्ड है। हिन्दू मानते हैं कि रामचन्द्र यहीं दाँतुन करते थे। बौद्धोंकी मान्यता है कि बुद्धने यहीं अपनी दाँतुन गाड़ दी थी, वह बादमें उग आयी। चीनी यात्री फाह्यानने भी उसे देखा था। सिख लोग मानते हैं कि गुरु गोविन्दसिंहने अयोध्याकी तीर्थयात्रा की थी। इस यात्राको स्मृतिमें एक बड़ा गुरुद्वारा बना हुआ है । मुसलमान अयोध्याको 'खुर्दमक्का' और 'सिद्धोंकी सराय' मानते हैं। फकीर अब्बास और मुसाआशिकान नामक दो मुसलमान सन्तोंकी कब्रे यहाँपर हैं, जहाँ अनेक मुसलमान जियारत करने आते हैं ।
__ इस प्रकार अयोध्या सर्वधर्ममान्य तीर्थस्थान है। वाषिक मेला
क्षेत्रका वार्षिक मेला भगवान् ऋषभदेवकी जन्मतिथि चैत्र कृष्णा ९ को भरता है। भगवान्की सवारी कटरा महल्लेके जैनमन्दिरसे रायगंजके जैनमन्दिरमें आती है।
रतनपुरी
मार्ग
श्री दिगम्बर जैन क्षेत्र रतनपुरी जिला फैजाबाद में अयोध्या से बाराबंकीवाली सड़कपर २४ कि. मी. दूर है। सड़क से लगभग २ कि. मी. कच्चा मार्ग है। सोहावल स्टेशनसे