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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ वि. संवत् १४३३ भाद्रपद सुदी १० का लेख है।
धातुको एक चतुर्भुजी पद्मावतीकी मूर्ति है। अवगाहना ६ इंच है। सिर पर सर्पफण है। वि. संवत् १९०२का मूर्ति-लेख अंकित है।
___सिंहासनपर ललितासनमें बैठी हुई द्विभुजी पद्मावतीकी एक धातु-प्रतिमा है। एक हाथमें अंकुश और दूसरे हाथमें कमल-पुष्प धारण किये हुए है। पादपीठपर संवत् १८०९ का एक अभिलेख है। .
___ इसके आगे हंसवाहिनी देवीकी धातु-मूर्ति है। चार भुजाएँ हैं जो क्रमशः सर्प, कमल, अंकुश और धनुष धारण किये हुए हैं। सिरपर सर्प फण है। मूर्ति-लेख है किन्तु पढ़ा नहीं जा सका । सम्भवतः यह पद्मावतीकी मूर्ति है। ___ एक चतुर्भुजी देवीकी धातु-मूर्ति संवत् १५३७ की है। यह ललितासनमें है। सिरपर तीर्थंकर-मूर्ति है। एक हाथ खण्डित है ।
इसी वेदीपर वि. संवत् १५४१ की एक धातु-मूर्ति है। मूर्तिके चार भुजाएँ हैं। आकार ५ इंच है। बगलमें हंस है। पंचायती मन्दिर
मुहल्ला चाहचन्दमें पार्श्वनाथ मन्दिरसे लगा हुआ और जैनधर्मशालाके फाटकके अन्दर शिखरबद्ध पंचायती दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिर है। यहाँ दायीं ओरको वेदीमें प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान हैं जो पुरातत्त्व और कलाकी दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण हैं। . बायीं ओरसे एक शिलाफलकमें भगवान् आदिनाथकी खड्गासन प्रतिमा है। सिरपर जटाएँ हैं जो पीठकी ओर गयी हैं। नीचे दायें-बायें यक्ष-यक्षिणी हैं। दोनों ओर बीचमें चमरवाहक खड़े हैं। सिरपर त्रिभंग छत्र है। इसके परिकरमें चौबीस तीर्थंकर-प्रतिमाएँ दोनों ओर और ऊपर बनी हुई हैं जिसमें २० पद्मासन हैं और ४ खड्गासन हैं। छत्रके दोनों ओर गज बने हुए हैं। दो आकाशचारी देव हाथोंमें पुष्पमाल लिये हैं। छत्रके ऊपर एक देव दुन्दुभि बजा रहा है।
कृष्ण पाषाणकी भगवान् पद्मप्रभुकी एक खड्गासन-प्रतिमा है। अवगाहना २ फुट ६ इंच है। सिंहासन-पीठपर मध्यमें पुष्पका चिह्न अंकित है। चरणोंके दोनों ओर यक्ष-यक्षिणी हैं । मध्यमें एक ओर दो चमरवाहक तथा दायीं ओर एक चमरवाहिनी देवी है। उसके ऊपर एक देव बना हुआ है। एक हस्ती सूंड उठाये हुए है। सिरके ऊपर इधर-उधर दो देवियाँ हाथमें पुष्पमालाएँ लिये अंकित हैं। दो गज शुण्डोंमें कलश लिये भगवान्का अभिषेक कर रहे हैं।
जटाधारी भगवान् आदिनाथकी प्रतिमा है। जटाएँ पीठकी ओर हैं। सिरपर छत्र है। चरणोंके दायें-बायें दो चमरवाहक हैं। दो गज बने हुए हैं, जिनपर एक-एक देव बैठा है। आकाशचारिणी देवियाँ हाथों में पारिजातकी पुष्पमालाएँ लिये हुए हैं।
____ नम्बर ४वाली मूर्ति नम्बर १ जैसी है। नम्बर १ की मूर्तिमें बैलका मुख दायीं ओर है, जबकि नम्बर ४वाली मूर्तिमें बैलका मुख बायीं ओर है।
आगेकी पंक्तिमें भगवान् पार्श्वनाथकी कृष्ण वर्ण प्रतिमा है । अवगाहना १३ इंच है।
कृष्ण पाषाणकी ११ इंच अवगाहना की एक अन्य मूर्ति है जिसमें लांछन नहीं है। दायीं ओर पार्श्वनाथकी दो प्रतिमाएँ हैं। कृष्णवर्ण हैं। अवगाहना १३ इंच है। ..... ये सभी मूर्तियाँ, लगता है, छठीसे दसवीं शताब्दी तक की हैं। इलाहाबादमें चाहचन्द मुहल्लेमें ३ मन्दिर और २ चैत्यालय हैं। इनके अतिरिक्त ५ मन्दिर और चैत्यालय अन्य मुहल्लों