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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ काशी सहस्रों वर्षों से विद्याका केन्द्र रही है। यहाँ भारतीय वाङ्मय-दर्शन और साहित्यके अध्ययन-अध्यापनकी प्राचीन परम्परा अब तक सुरक्षित है। जरी और रेशमकी साड़ियोंके लिए तो बनारस सदासे प्रसिद्ध रहा है। और अपनी उस ख्यातिको वह आज भी सुरक्षित रखे हुए है।
सिंहपुरी
सिंहपुरी वाराणसी जिलेमें वाराणसीसे सड़क मार्ग द्वारा ६ कि. मी. दूर उत्तरमें अवस्थित है। बनारस छावनी स्टेशनसे यह ८ कि. मी. और बनारस सिटीसे ५ कि. मी. है। वहाँ जानेके लिए वाराणसीसे मोटर और टैक्सी हर समय मिलती हैं। ट्रेनसे जाना हो तो सारनाथ स्टेशन उतरना चाहिए। स्टेशनसे लगभग तीन फलाँग दूर दिगम्बर जैन मन्दिर और धर्मशाला है। यहाँका पोस्ट आफिस सारनाथ है। जैनतीर्थ
भगवान् श्रेयान्सनाथके चार कल्याणकोंके कारण यह अत्यन्त प्रागैतिहासिक कालसे जैनतीर्थ रहा है। यहाँ उनके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान ये चार कल्याणक हुए थे। जैन मन्दिर
क्षेत्र पर एक दिगम्बर जैन मन्दिर है। एक वेदीमें २ फूट ५ इंच अवगाहनावाली श्रेयान्सनाथ भगवान्की श्यामवर्ण पद्मासन मूलनायक प्रतिमा है। यह प्रतिमा अत्यन्त मनोज्ञ है। प्रतिमा लेखसे ज्ञात होता है कि इसकी प्रतिष्ठा वि. संवत् १८८१ में मार्गशीर्ष शुक्ला षष्ठी शुक्रवारको पभौसापर्वतपर हई थी।
इस प्रतिमाके नीचे गेंडेका लांछन है जो भगवान् श्रेयान्सनाथका है। यह भेलूपुरके दिगम्बर जैन मन्दिरसे लाकर यहाँ विराजमान की गई थी। इस प्रतिमाके साथकी दो श्यामवर्ण प्रतिमाएँ अभी तक भेलपूरके जैन मन्दिर में विराजमान हैं।
मूलनायक प्रतिमाके आगे भगवान् श्रेयान्सनाथकी श्वेतवर्ण प्रतिमा है। एक सिंहासनमें भगवान् पार्श्वनाथको श्यामवर्ण प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा भी भेलूपुरके मन्दिरसे लायी गयी थी।
वेदीके पीछे दायीं ओर दीवालमें बनी हुई एक आलमारीमें एक शिलापटमें नन्दीश्वर चैत्यालय है जिसमें ६० प्रतिमाएँ बनी हुई हैं। इसमें ऊपरकी प्रतिमाओंकी पंक्ति खण्डित है। यह शिलापट भूगर्भसे उपलब्ध हुआ था । बायीं ओरके दालानमें एक तहखाना बना हुआ है । गर्भगृहके आगे विशाल सभामण्डप है। मन्दिरके बाहर विशाल चबूतरा और उद्यान है।
मन्दिरके कम्पाउण्डके बाहर भारत सरकारकी ओरसे घासका लान और पूष्पोद्यान बना दिया गया है। यह सारी भूमि पहले मन्दिरकी थी किन्तु दिगम्बर जैन समाजकी असावधानीके कारण इस विशाल भूमिखण्डपर अब सरकारी अधिकार हो गया है। यहाँ कोई श्वेताम्बर मन्दिर नहीं है।
माया।
पुरातत्त्व
जैन मन्दिरके निकट ही एक स्तुप है। इसकी ऊँचाई १०३ फूट है। मध्यमें इसका व्यास