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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ___मन्दिरके बाहर उत्तरकी ओर आचार्य पात्रकेशरीके चरण बने हुए हैं। चरणोंकी लम्बाई ११ इंच है।
ऐसा विश्वास है कि आचार्य पात्रकेशरी इसी स्थानपर बने हुए मन्दिरमें देवी पद्मावती द्वारा प्रतिबोध पाकर जैनधर्ममें दीक्षित हए थे। वार्षिक मेला
क्षेत्रका वार्षिक मेला चैत्र कृष्णा अष्टमीसे चैत्र कृष्णा त्रयोदशी तक होता है।
कम्पिला
मार्ग
कम्पिला उत्तरप्रदेशके फर्रुखाबाद जिलेकी कायमगंज तहसीलमें एक छोटा-सा गाँव है। यह उत्तर रेलवेकी अछनेरा-कानपुर शाखाके कायमगंज स्टेशनसे ८ कि. मी. दूर है। स्टेशनसे गाँव तक पक्की सड़क है। बस और ताँगे मिलते हैं। कल्याणक क्षेत्र : कम्पिलामें तेरहवें तीर्थंकर भगवान् विमलनाथका जन्म हुआ था। उस समय इक्ष्वाकुवंशी महाराज कृतवर्मा यहाँके शासक थे। वे भगवान् ऋषभदेवके वंशज थे। उनकी महारानीके गर्भमें ज्येष्ठ कृष्णा दशमीके दिन सहस्रार स्वर्गके इन्द्रका जीव आयु पूर्ण होनेपर आया। देवोंने आकर भगवान्का गर्भकल्याणक उत्सव मनाया।
___ नौ माह पूर्ण होनेपर भगवान्का जन्म हुआ। आचार्य यतिवृषभ विरचित 'तिलोयपण्णत्ति'में इस सम्बन्धमें निम्नलिखित उल्लेख है
'कांपिलपुरे विमलो जादो कदवम्म जयस्सामा हि।
माघसिद चोदसिए णक्खत्ते पुव्वभाद्दपदे ॥४।५३८ . अर्थात् कम्पिलापुरीमें विमलनाथ पिता कृतवर्मा और माता जयश्यामासे माघ शुक्ला चतुर्दशीके दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्रमें उत्पन्न हुए। ..उस समय चारों निकायके देवों और इन्द्रोंने भगवान्को सुमेरु पर्वतपर ले जाकर उनका जन्माभिषेक किया और पुनः कम्पिला लाये जहाँ उनका जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया। सौधर्म इन्द्रने बालकका नाम विमलनाथ रखा। ____बालकके शरीरमें १००८ शुभ सामुद्रिक लक्षण थे। किन्तु इन्द्रकी दृष्टि सर्वप्रथम उनके पेरके शूकर चिह्नपर पड़ी थी। इसलिए उनका प्रतीक चिह्न शंकर स्वीकार किया गया। देवों और इन्द्रों द्वारा भगवानका जन्म-महोत्सव कम्पिलामें बड़े समारोहके साथ मनाया गया। इस घटनासे जनता अत्यन्त प्रभावित हई और उसने तभीसे कम्पिलाको श्रद्धावश शकर क्षेत्र मान लिया।
१. जत्थ य तस्सेव भगवओ सूअर लच्छणत्तणं पडुच्च देवेहि महिमा कया तत्थ य सूअर खित्तं पसिद्धिमुवगयं।
-विविध तीर्थकल्पमें काम्पिल्यपुर कल्प, २५