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उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ हैं। कैलाशके शिखरकी ऊंचाई समुद्र तलसे १९००० फुट है। इसकी चढ़ाई डेढ़ मीलकी है जो कि बहुत ही कठिन है।
कैलाशकी ओर ध्यान पूर्वक देखनेसे एक आश्चर्यजनक बात दृष्टिमें आती है। वह यह है कि कैलाशके शिखरके चारों कोनोंमें ऐसी मन्दिराकृति स्वतः बनी हुई है, जैसे बहुतसे मन्दिरोंके शिखरोंपर चारों ओर बनी होती हैं।
तिब्बतकी ओरसे यह पर्वत ढलानवाला है। उधर तिब्बतियोंके बहुत मन्दिर बने हुए हैं। बहुतसे तिब्बती तो इसकी बत्तीस मीलकी परिक्रमा दण्डवत् प्रणिपात द्वारा लगाते हैं । 'लिंग-पूजा' शब्दका प्रचलन तिब्बतसे ही प्रारम्भ हुआ है। तिब्बती भाषामें लिंगका अर्थ क्षेत्रे या तीर्थ है । अतः लिंग-पूजाका अर्थ तीर्थ-पूजा हुआ। कैलाश और अष्टापद
प्राकृत निर्वाण भक्तिमें 'अट्ठावयम्मि ऋसहो' अर्थात् ऋषभदेवकी निर्वाण भूमि अष्टापद बतलायी गयी है। किन्तु कहीं 'कैलासे वषभस्य निर्वत्तिमही' अर्थात् कैलाशको वृषभदेवकी निर्वाण भूमि माना है। संस्कृत निर्वाण भक्तिमें भी अष्टापदके स्थानपर कैलाशको ही ऋषभदेवका निर्वाण धाम माना गया है। ( कैलाशशैलशिखरे परिनिर्वृतोऽसौ। शैलेशिभावमुपपद्य वृषो महात्मा ॥) निर्वाण-क्षेत्रोंका नामोल्लेख करते हुए संस्कृत निर्वाण काण्डमें एक स्थानपर कहा गया है'सहयाचले च हिमवत्यपि सुप्रतिष्ठे।' इसमें सम्पूर्ण हिमवान् पर्वतको ही सिद्धक्षेत्र माना गया है। - यहाँ विचारणीय यह है कि क्या कैलाश और अष्टापद पर्यायवाची शब्द हैं ? यह भी अवश्य विचारणीय है कि कैलाश अथवा अष्टापदको निर्वाण क्षेत्र मान लेनेके पश्चात सम्पूर्ण हिमवान पर्वत ( हिमालय ) को निर्वाणभूमि माननेका क्या रहस्य है। यदि सम्पूर्ण हिमालय पर्वतको निर्वाण भूमि माना गया तो उसमें कैलाश नामक पर्वत तो स्वयं अन्तर्भूत था, फिर कैलाशको पृथक् निर्वाण क्षेत्र क्यों माना गया ? इस प्रकारके प्रश्नोंका समाधान पाये बिना उपयुक्त आर्ष कथनोंमें सामंजस्य नहीं हो पाता।
. पहले प्रश्नका समाधान हमें विविध तीर्थकल्प ( अष्टापद गिरि कल्प ४९ ) में मिल जाता है। उसमें लिखा है___"तीसे ( अउज्झा ) अ उत्तरदिसाभाए वारसाजोअणेसुं अट्ठावओ नाम कैलासापरभिहाणो रम्भो नगवरो अट्ठजोअणुच्ची सच्छफालिहसिलामओ, इत्तुच्चिअलोगे धवलगिरित्ति पसिद्धो।"
अर्थात् अयोध्याके उत्तर दिशा भागमें बारह योजन दूर अष्टापद नामक सुरम्य पर्वत है, जिसका दूसरा नाम कैलाश है । यह आठ योजन ऊँचा है और निर्मल स्फटिक शिलाओंसे युक्त है। यह लोकमें धवलागिरिके नामसे भी प्रसिद्ध है।
इस उल्लेखसे यह सिद्ध हो जाता है कि अष्टापद, कैलाश और धवलगिरि ये सब समानार्थक और पर्यायवाची हैं।
इससे पहले प्रश्नका उत्तर तो मिल जाता है कि अष्टापद और कैलाश पर्यायवाची हैं, किन्तु शेष प्रश्नोंका उत्तर खोजना शेष रह जाता है। सम्पूर्ण हिमालयको सिद्ध क्षेत्र मान लेनेपर 8. It may be mentioned here that Linga is a Tibctan word for land. The
Northern most district of Bengal is called Dorji-ling, which means Thunder's land.
S. K. Roy ( Pre-Historic India and Ancient Egypt p, 28 ).
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