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४. नन्दीश्वरद्वीप के वन
बापियों के चारों ओर वनखण्ड हैं, जिनका विस्तार
(१००,०००,५०,०००) योजन है। (ति. प. १५१६४) :(रा.वा.३१३५/-१९८४२८): (त्रि.सा.९७२) ७. अढाई द्वीप की नदियों का विस्तार १. जम्बूद्वीप की नदियां
ति.प.
रा. बा.३।।
नाम | स्थल विशेष । चौडाई
ऊंचाई
।४। गा. २२शवा.प. पं. |
ह. पृ.।। गा.
त्रि. सा. गा.
| ज.प.म. गा.
नदियों के विस्तार व गहराई आदि सम्बन्धी सामान्य नियम-भरत व ऐरावत क्षेत्र की नदियों का विस्तार प्रारम्भ
में ६. यो. और अन्त में उससे दस गुणा होता है। आगे-आगे के क्षेत्रों में विदेह पर्यन्त वह प्रमाण दुगुनादुगुना होता गया है। (त्रि.सा. ६००); (ज. प. 1३।१९४)। नदियों का विस्तार उनकी गहराई से ५० गुगा होता है 1 (ह. पु. १५०५०७) ।
वृषभाकार | प्रणालीगंगा-सिन्ध | हिमवान्
। ६यो.
२ को प्रवेश २ को प्रवेश २१४ ।
| १४०
५८४
३।१५०
| ११५२
३।१५३
११२ को.
! १६७
| ३११६४
।
। ५८६ ।
आगे के नदी | विदेह तक उत्तरोत्तर दुगुने
युगल ऐरावत तक उत्तरोत्तर माधे गंगा
उद्गम । ६. यो. पर्वत से गिरने वाली धार दृष्टि सं० १ . दृष्टि सं०२ गुफा द्वार पर
समुद्र प्रवेश पर; ६२. यो. सिन्धु
गंगानदीवत् रोहितास्या
गंगा से दूना
|३।१६८
| १।१८७।२६ | १४६ | ६०० ३११७७
२२१८७१३२ १५१ , ६०० | ३।१६४ | १६६६
१६६६ ३३१५८ , ५६६ । ३।१८०
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