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२. पुष्कर द्वीप के पर्यत व कूट
विस्तार
रा.बा.।३।३४॥
नाम
'ऊंचाई | यो.
लम्बाई यो.
| ति.प.४गा.
त्रि. सा. गा.
यो.
|ज. प. म. गा.
बा. पू० पं०
पर्वतों के विस्तार व ऊंचाई सम्बन्धी सामान्य नियम कुलाचल | जम्बूद्वीपवत् | स्त्रद्वीप प्रमाण जम्बूद्वीपसे चौगुना २७८६-२७६० विजया
निम्नोक्त
५।१९७२ ५८८-५
:
-
वक्षार
गजदन्त
:
-
नाभिगिरी
:
उपरोक्त सर्वपर्वत
वृष्टि सं०२ वृषभगिरी
xx xxx xxx
-
. जम्बूद्वीपवत्
२७६१
--.
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यमकरी
XXX |
कांचन
वशा पृथ्वी में नारकी जीव यद्यपि जग धरणी के असंख्यात भाम मात्र हैं, तथापि उनकी राशि का प्रमाण जग श्रेणी के बारहवें वर्ग मूल से भाजित जग थेगी मात्र है।
वेणी : योगी का १२ वा वर्ग मूल-- वंशा पू. के नारकी।
मेवा पध्वी में नारकी जीव जग श्रेणी के असंख्यात भाय प्रमाण होते हुए भी जग थेणी के दसवें वर्ग मूल में भाजित जग थेगी प्रमाण है।
श्रेणी श्रेणी का १०वा वर्ग मूल-- मेघा ग. के नारकी।
चौथी पृथ्दी में नारकी जीय यद्यपि जग श्रेणी के असंख्यात भाग मात्र हैं, तथापि उनका प्रमाण जम धेणी में जग घेणी के आठो वर्ग मूल का भाग देने पर जो लब्ध आबे, उतना है।
श्रेणी- धणी का स्वां अगं मूस पौधी पृ. के नारकी।
पांचवीं पृथ्वी में नारकी जीव जंग श्रेणी के असंख्यातवें भाग प्रमाण होकर भी जग थेणी के छठे वर्ग मूल मे भाजित जग थेगी मात्र हैं।
श्रेणीधणी का ६वां वर्ग मूल-पांचवीं पृ. के नारकी।
मधषी पृथ्वी में भी नारकी जीव जग श्रेणी के असंख्यातवें भाग मात्र हैं, तथापि उनका प्रमाण जग असी में उसके तीसरे वर्ग मल का भाग देने पर जो लब्ध आवे, उतना है।
श्रेणी: थेरणी का ३सरा वर्ग भूल =छठी पृ. के नारकी।
सातवीं पुथ्वी में यद्यपि नारकी जीव जग श्रेणी के असंख्यातवें भाग प्रमाण ही हैं । तथापि उनकी राशि का प्रमाण नग श्रेग्गी के द्वितीय वर्ग मूल से भाजित जग श्रेणी है ।