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५. अढाई द्वीपों की सर्व वेदियां
बंदियों के विस्तार सम्बन्धी सामान्य नियम-देवारण्यक व भतारण्यक दनों के अतिरिक्त सभी कुण्डों, नदियों, वनों, नगरों, चैत्यालयों आदि की बेदियां समान होती हुई निम्न विस्तार-सामान्यवालो हैं। (ति. प. ।४।२३८५-२३६१) ज. प. श६०-६६)
ज. प.।
अवस्थान
! ऊंचाई ।
गहराई
विस्तार
ति. प. ।४ागा. .
रा. वा. ।३। सू.! ह.पु.
बा. ।पृ.प. गा. में
अ.गा.
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सायान्य
१॥६६
१. यो. | ऊंचाई से चौथाई ५०० धनुष । २३६० | १ यो. | , १००० , २३६१
भूतारण्यक
देवारण्यक
सामान्य वेदीवत
हिमवान् पद्मद्रह शाल्मली वृक्षस्थल
१५-१८५-१ २१६८ २१००,२१२८
गजदन्त
भूतारण्यक वत्
भद्रशालवान घात की खण्डकी सर्व
उपरोक्त वत्
पुष्कराध की सर्व
सामान्य वत्
२५३५
इप्वाकार मानुपोत्तर की तटवटी शिखरवेदी
सामान्य वत् १
२७५४
विस्तार
गहराई
जम्बूद्वीप की जगती।
८यो.
मूल
मध्य | ऊपर ; १५-२७ । ६।१।३७०।२६ । ३७८८५ ॥२६
१२यो | १२यो. प्यो. '
जगतो के द्वार
प्रवेश
आयम
दृष्टि सं० १ दृष्टि मं०२ लवणसागर
! ८यो । ७५० यो.
४ यो. ४ यो.
५०० यो. जम्बूद्वीप की जगती वत्
२५१६