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के अनुसार सागर की बाह्य व प्राभ्यन्तर वेदीवाले उपरोक्त नगर दोनों वेदियों से ४२००० योजन भीतर प्रवेश करके माकाश । में अवस्थित हैं और मध्य वाले जल के शिखर पर भी।
७. दोनों किनारों से ४२००० योजन भीतर जाने पर चारों दिशानों में ज्येष्ठ पाताल के बाह्य व भीतरी पाव भागों में एक एक करके कुल आठ पर्वत हैं। जिन पर वेलधर देव रहते हैं।
लवण सागर द्रष्टि भेद-सूर्य वचन्द्र दीपोंको कोई आचार्य
मानते है और कोई नहीं नोट सागर के ऊपर आजारामे-बन्दर देवो कोनगरपः
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आचार्यश्री सुविधा सीमहीना महाराज
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चन्द्रदीप | सूर्य द्वीप
कुमानुप द्वापाका अवस्थान क्रम - दोनों तटोपर तटसे जल अन्तराल छोड़कर चार वारदीप चारों दिशाओमें, चार चार सिटिशामोंमें, आठ आठ अन्तर-दिशाओमें, और अ. आठ विजयाओं तथा हिमवान च शिखरी पर्वतोके प्रणिधि भागे हित है।
विशेष दे.चिन्न स.१३ तथा ऊ/४.१
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पर्वत