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किया गया है, प्रत्मदा शब्द- सर्वप्रथम भब्द देवनागरी लिपि , नत्पश्चात् रामनालाप मलप्यान्तरण, फिर शब्द का अंग्रेजी अन्बाद तदुपरांत हिन्दी में व्यारया दी गई है । इसका एक नमूना दृष्टच्य है -
अभ्यंतरोपधि व्युत्सर्ग - Asherinteropathi lutstaren Renunciation of internal belongings as anger. passion etc. अंतरंग लप्प का भेद - मिथ्यात्य, क्रोधादि 4 कषाय एवं 9 नोकषाय कुन 14 प्रकार से अभ्यतर परिग्रह का त्याग ।
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इस शब्दकोश को सरलता से समझने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं, जो निम्न है
1. हिन्दी शब्द को रोमन लिपि में लिखने के लिए निम्न लिपि का उपयोग किया गया हैअ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ u ā i į u ū .
ai o au ____ अं.) :)
amfin) ahth) क ka च caट त प pa य ya
kha cha tha thu pha ग ga ज_ju ड da दda बba ल la
gha jha d ha dha bha a va ङ na ञ na na न ra म na श fu
sa स sa ह ha 2. समस्त अनुस्वार रुप शब्द जैसे गङ्गा, पञ्जा, पण्डा. हिन्दी एवं लम्बा (अर्थात् गंगा. पंजा. पंडा, हिंदी एवं लंबा) में अनुस्वार को रोमन लिपि में लिप्यांतरण करने के लिए 'n' का उपयोग किया गया है । पाठकगण इसे अपनी सुविधा या लेखनी अनुसार उपरोक्त अनुस्वार रूप शब्द के लिये क्रमश: 1, an, rm का प्रयोग करें।
3. ड़ के लिए है एवं ढ़ के लिए rha का प्रयोग किया गया है ।
इस शब्दकोश में जैन आगमानुसार क्षेत्र, पर्वत, वंश आदि के अनेक नाम जैसे विदेह क्षेत्र, भरत क्षेत्र, घातकीखण्ड, आर्यखण्ड, पर्वत - विद्युत्प्रभ, गजदन्त, सचक, विजयाध, सुमेरु, यदु (यादव) वंश, हरि यंश. इक्ष्वाकु वंश, पद्महद, जम्बूद्वीप, नारायण, प्रतिनारायण, बलदेव, पंडित, विभंगा, नारद, अनुत्तरोपपादक, स्वर्ग के नाम आदि संज्ञा शब्द का अंग्रेजी रूपान्तरण ज्यों का त्यों किया गया है। इसी प्रकार कुछ विशेष जैन शब्दों का अंग्रेजी अनुवाद निम्न प्रकार से उपयोग किया गया है
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