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Jain Institute of CosmographicResearch) के नाम से प्रसिद्ध इस संस्थान का आधारभूत लक्ष्य था-जम्बूद्वीप का निर्माण और यह जम्बूदीप ही अततः संस्थान का मुख्य कार्यालय बन गया।
जंबूद्वीप की 30 एकड़ पवित्र भूमि पर संस्थान के द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं/ रचनाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है
1. जंबूदीप रचना-जिनेन्द्र भगवान की 207 प्रतिमाओं से पावन भारतीय शिल्प और जैन भूगोल का अद्वितीय उदाहरण। आधुनिक आकर्षणों-बिजली के फौथ्यारे, नौका-विहार इत्यादि सहित।
2. कमल मंदिर-- भगवान महावीर की अतिशयकारी खगासन प्रतिमा इस मंदिर में विराजमान हैं।
3. ध्यान मंदिर-24 तीर्थकर भगवन्तों की प्रतिमाओं सहित 'ह्रीं' रचना इस मंदिर में विराजमान हैं, जो कि 'ध्यान' (Meditation) करने हेतु उत्तमोत्तम माध्यम है।
4. त्रिमूर्ति मंदिर- भगवान आदिनाथ, भरत एवं बाहुबली की खड्गासन प्रतिमाओं से इस मंदिर का नाम सार्थक है। कमल पर विराजमान भगवान नेमिनाथ एवं पार्थनाथ से इस मंदिर की शोभा द्विगुणित हो गयी है।
___5. वासुपूज्य मंदिर-इस मंदिर में 12वें तीर्थकर-वासुपूज्य स्वामी की खड्गासन प्रतिमा विराजमान हैं।
6. शांति-कुंथु-अरहनाथ मंदिर-जिन भगवन्तों के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणकों से हस्तिनापुर की भूमि परम-पायन हुई है, उन शांति-कुंथु और अरहनाथ भगवंतों की खड्गासन प्रतिमाएं इस मंदिर में विराजमान हैं।
7. ॐ मंदिर-अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठियों की प्रतिमाओं सहित ॐ (ओम) रचना इस मंदिर में विराजित हैं।
8. विद्यमान बीस तीर्थंकर मंदिर- इस मंदिर में विदेह क्षेत्र के विद्यमान 20 तीर्थकरों की प्रतिमाएँ बीस कमलों पर विराजमान हैं।
9. सहसकूट मंदिर-जिनेन्द्र भगवान की 1008 प्रतिमाओं सहित ।
10. भगवान ऋषभदेव मंदिर-धातु निर्मित भगवान ऋषभदेव की मूलनायक प्रतिमा एवं अन्य जिन प्रतिमाओं सहित।
11. भगयान ऋषभदेव कीर्तिस्तंभ---मगवान ऋषभदेव अन्तर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव वर्ष में निर्मित, भगवान के जीवन चरित्र को पदर्शित करने वाला, प्रतिमाओं से समन्दित 31 फुट ऊँचा कीर्तिस्तंभ। 12. इन्द्रध्वज मंदिर निर्माणाधीन।
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