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रचना अंग्रेजी में बनाने के भाव अने तथा समय-समय पर गद्य में भी लेखन किया। इन सबमें की मुझे General Dictionary से शब्द बहुत खोजने पड़ते तो इच्छा और प्रबल होली कि जैनधर्म के शब्दों की एक Special Dictionary होनी ही चाहिये जिससे हम सरलतापूर्वक शब्द ढूंढकर यथास्थान प्रयोग कर सकें।
इसके अतिरिक्त, मैंने देखा कि वर्तमान में जैन साहित्य का अंग्रेजी अनुवाद करते समय कतिमय अनुवादक कहीं-कहीं PTOPEE Nouns अथवा नामों का भी अनुवाद कर देते हैं, यथाधवला हेतु Luminous, जयधवला हेतु Victorious luminous, अष्टसहनी हेतु Octad of thousand, प्रमेयकमल मार्तण्ड हेतु Sun for the lotus of the objects of knowledge, जयमाला हेतु Garlands of victory इत्यादि. परन्तु इस शैली से पाठक को वास्तविक अर्थ का ज्ञान न होकर विपरीत ही प्रतिमास होने की आशंका रहती है, अत: इस प्रकार के अनुवाद की परम्परा दांछनीय प्रतीत नहीं होती है। दूसरे शब्दों में यदि कहें तो 'ज्ञानमती नाम को Knowledge-Mind एवं चंदनामती नाम को Sandal-Mind कहने से उन-उन व्यक्तित्वों का बोध भला कैसे हो पायेगा? 'प्रकाशचंद्र' नाम के लिए Light Moon लिखना जहाँ हास्थापद है. वहीं ऐसे अनुवाद से व्यक्ति विशेष का बोध भी भला कैसे हो सकता है? वस्तुत: नामों की यथा नाम तथा गुण को साकार करने वाली व्याख्या की जा सकती है परन्तु अनुशद नहीं। जैसे स-1 1955 में Justice J.L. Jaini द्वारा तत्वार्थ सूत्र के अंग्रेजी अनुवाद में सूत्रों को रोमनलिपि में ही दिया गया है, न कि मूलसूत्र का अनुवाद किया गया है। ऐसा ही संस्कृत, प्राकृत अथवा हिंदी टीकाओं के ग्रंथों में भी दृष्टिगत होता है। भूलसूत्र को अनुवाद द्वारा बदलने की परम्परा कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होती अन्यथा अब तक आचार्य कुंदकुंद, आचार्य उमास्वामी, आचार्य असंतभद्र आदि द्वारा लिखित मूलसूत्रों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता।
इसी प्रकार मैंने अनुभव किया कि कई स्थानों पर जैन मुनियों के लिए Jain Monk शब्द एवं आर्यिकाओं के लिए Jain Nun जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जबकि दोनों ही शब्दों के लिए क्रमश: Jaln Saint अथवा Jain Muni एवं Female Jain Saint अथवा Jain Sadhvi का प्रयोग श्रेयस्कर प्रतीत होता है। वस्तुत: Monk शब्द विशेष रूप से रौद्ध भिक्षुओं हेतु एवं Nun शब्द ईसाई साध्वियों हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इस तरह की कमियों ने मुझे बार-बार एक ऐसे शब्दकोश के निर्माण की ओर उन्मुख किया जिसमें सर्वप्रामाणिकता हो एवं शब्दों के अर्थ और उनके अनुवाद की उपयोगिता और सर्वमान्यता हो।
समय बीतता गया, हमारे संघ का विहार सतत चलता रहा। इसी बीच मैंने अपनी गुरु पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी से निवेदन किया कि माताजी! वर्तमान पीढ़ी के लिये ऐसे एक शब्दकोश की अत्यन्त आवश्यकता है, और उन्होंने सहर्ष इस कार्य के प्रति अपनी सहमति प्रकट की। इस तरह भगवान महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के प्रसंग में एक शब्दकोश के संकलन की सारी योजना बनाई गई और इस परियोजना पर मैंने संकलन कार्य प्रारंभ कर
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