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| पवनपुतहरा
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मल्लजा मालवे देशे सौराष्ट्रे सिन्धुसागरे।
एतेष्वपि तदा मन्दं प्रियमन्यत् प्रसूयते॥१४॥ (मल्लजा मालवे देशे) काली मिर्च मालवदेश में (सौराष्ट्रे सिन्धुसागरे) सौराष्ट्र समुद्र के तटवर्ती (एतेष्वपि तदा मन्द) इन प्रदेशों में मन्दी होती है (प्रियमन्यत् प्रसूयते) अन्य वस्तुएँ महँगी होती है।
भावार्थ- काली मिर्च, मालवदेश, सौराष्ट्र, सागर और तटवर्ती प्रदेशों में, मन्दी होती है, अन्य वस्तुएँ महंगी होती है।। १४॥
कृत्तिका रोहिणीयुक्ता बुध चन्द्र शनैश्चराः।
यदा सेवन्ते सहितास्तदा विन्द्यादिदं फलम्॥१५॥ (बुध चन्द्र शनैश्चराः) बुध, चन्द्र, शनि (कृत्तिका रोहिणी युक्ता) ये तीनों कृत्तिका युक्त रोहिणी का (यदा सेवन्ते) जब सेवन करे तो (सहितास्तदा विन्द्यादिदं फलम्) समझो, अधिक फल होगा।
___ भावार्थ-बुध, चन्द्र, शनि कृत्तिका युक्त रोहिणी का सेवन करे तो समझो, अधिक फल होगा॥१५॥
आज्यविकं गुडं तैलं कार्षासो मधुसर्पिषी।
सुवर्ण रजते मुद्गा: शालयस्तिलमेव च॥१६॥ (आज्यविकं गुडं तैलं) घी, गुड़, तेल (कार्षासो) कपास (मधुसर्पिषी) मधु सर्पि (सुवर्ण रजते मुद्गा:) सुवर्ण, चाँदी, मूंग (शालयस्तिलमेव च) धान्य, तिल और वस्तुएं।
भावार्थ-घी, गुड़, तेल, कपास, मधु, सर्पि, सुवर्ण, चाँदी, मूंग, धान्य, तिल आदि पदार्थ महँगे होंगे॥१६॥
स्निग्धे याम्योत्तरे मार्गे पञ्चद्रोणेन् शालयः।
दशाढकं पश्चिमे स्यात् दक्षिणेतु षडाढकम्॥१७॥ यदि उक्त ग्रह (स्निग्धे) स्निग्ध हो (याम्योत्तरे मार्गे) दक्षिणोत्तर मार्ग में गमन करे तो (पञ्चद्रोणेन् शालयः) पाँच द्रोण प्रमाण धान्य महँगा होता है (दशाढकं