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चतुर्विंशतितमोऽध्यायः
नगरनिवासियों का (मिथोभेदं तदादिशेत्) तब दोनों का परस्पर भेद होता है ऐसा निर्देश किया गया है।
भावार्थ---जब कृष्ण ग्रहों का कृष्ण ग्रह के साथ सामगम हो तब ग्रह का घात हो तो समझो शूद्रों का और नगरनिवासियों का परस्पर भेद पड़ता है ॥ २१॥
श्वेतो नीलश्च पीतश्च कपिलः पद्यलोहितः।
विपद्यते यदा वर्णो नागराणां तदा भयम्॥२२॥ (यदा) जब (श्वेतो नीलाश्च पीतश्च) श्वेत, नीला, पीला (कपिलः पद्मलोहितः) कपिल, पद्य, लोहित (वर्णो) वर्ण के ग्रह (विपद्यते) परस्पर घात करे तो (तदा) तब (नागराणां भयम्) नगर निवासियों को भय उत्पन्न होता है।
भावार्थ-जब सफेद, नीला, पीला, कपिल, लोहित वर्ण के ग्रह परस्पर घात करे तो समझो नागरिकों को भय उत्पन्न होता है।। २२॥
श्वेतो वाऽत्र यदा पाण्डग्रह संपद्यते स्वयम्।
यायिनां विजयं ब्रूयात् भद्रबाहुवचो यथा॥२३॥ (यदा) जब (श्वेतो वाऽत्र पाण्डुग्रह) श्वेत या पाण्डु वर्ण के ग्रह (सपंद्यते स्वयम्) परस्पर घात करे तो (यायिनां विजयं ब्रूयात्) आने वाले आक्रमणकारी की विजय होगी ऐसा कहे (भद्रबाहुवचो यथा) क्योंकि स्वामी भद्रबाहु का ऐसा ही वचन है।
भावार्थ-जब श्वेत या पाण्डु वर्ण के ग्रह का समागम करे तो आक्रमणकारी की विजय होती है ऐसा कहें,भद्रबाहु स्वामी का ऐसा ही वचन है॥२३ ।।
कृष्णो नीलस्तथा श्यामः कपोतो भस्मसन्निभः।
विपद्यते यदा वर्णो न तदा यायिनां भयम्॥२४॥ (यदा) जब (कृष्णो नीलस्तथा श्यामः) काला, नीला तथा श्याम (कपोतो भस्मसन्निभः) कपोत और भस्म के (वर्णो) वर्णो का ग्रह (विपद्यते) परस्पर युद्ध करे तो (यायिनां भयम् न) यायि को भय नहीं होता है।
भावार्थ-जब काला, नीला, श्याम, कपोत, भस्म के वर्ण का गह परस्पर युद्ध करे तो आने वाले आक्रमणकारी को कोई भय नहीं होता है॥२४॥