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शिसिरमौर
राहु आगमन के चिह्न भी बतायें हैं वो इस प्रकार है जब राहु का आगमन होने वाला होता है तब प्रतिपदातिथि को चन्द्रमा प्रकृति से विकृत हो और भिन्न वर्ण का हो तो समझो राहु का आगमन होने वाला है, इसी प्रकार और भी चिह्न दिये हैं ग्रन्थ में देख लेवे।
चन्द्र ग्रहण के बाद पाँच वर्ष संकट के और सूर्य ग्रहण के बाद बारह वर्ष संकट के होते हैं।
बारह राशियों के भ्रमणानुसार राहुफल देता है, चन्द्रग्रहण का फल नक्षत्रानुसार भी चन्द्रग्रहण फल देता है, और विद्धफल भी होता है।
__ चन्द्रमा से राहु विद्ध होने पर जनता को महान् कष्ट होता है। अगर राहु मंगल विद्ध होता हुआ दिखाई दे तो, जन क्रान्ति, राजनीति में उथल-पुथल एवं युद्ध होते हैं।
बुध या शुक्र से विद्ध होने पर जनता को सुख शान्ति आनन्द आमोद-प्रमोद अभय और निरोगता लाता है। इस प्रकार अन्य समझें।
___ चन्द्र ग्रहण अगर अश्विनी नक्षत्र में हो तो मूंग, उड़द, चना, अरहर आदि दाल व अनाज महँगे होते हैं अगर भरणी में हो तो सफेद वस्त्रों में तीन महीने अन्दर लाभ होता है, कपास रुई, सूत, जूट, आदि चार महीनों में लाभ होता है। इसी प्रकार प्रत्येक नक्षत्र का शुभाशुभ फल समझ लेना चाहिये।
मेषराशि का चन्द्रग्रहण मनुष्यों को पीड़ा देता है पहाड़ी प्रदेश जैसे पंजाब, दिल्ली, दक्षिणभारत, महाराष्ट्र, आन्ध्र, बर्मा प्रदेशों के निवासियों को अनेक प्रकार की बीमारियाँ होती है शूद्र और वर्णसंकरों को महान् कष्ट होता है लालरंग के पदार्थों में लाभ होता है। इत्यादि।
वृश्चिक राशि में राहु मंगल के साथ स्थित हो तो जूट, वस्त्र के व्यापार में अधिक लाभ होता है, इत्यादि राशियों के अनुसार भी राहु के संचार का फल समझना चाहिये।
अब मैं इस विषय में विशेष जानकारी के लिये डॉक्टर साहब का भी मन्तव्य दे देता हूँ, ताकि ग्रन्थ से अच्छी जानकारी पाठकों को प्राप्त हो।
विवेचन-द्वादश राशियों के भ्रमणानुसार राहुफल—जिस वर्ष राहु मीन
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