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भद्रबाहु संहिता
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अंगस्फुरण फल-अंग फड़कने का फल
स्थान
फल
स्थान
स्थान
फल
मस्तक स्फुरण पृथ्वी लाभ वक्षःस्फुरण विजय कण्ठ स्फुरण ऐश्वर्य लाभ ललाट स्फुरण | स्थान लाभ हृदय स्फुरण वांछित सिद्धि | ग्रीवा स्फुरण रिपु भय कन्धा स्फुरण | भोग समृद्धि कटि स्फुरण प्रमोद-बल पृष्ठ स्फुरण | युद्ध पराजय भूमध्य सुख प्राप्ति
वाघोलप प्राप्ति धूयुग्म महान् सुख नाभि स्फुरण स्त्री नाश मुख स्फुरण मित्र प्राप्ति कपाल फुरण | शुभ आंत्रक स्फुरण कोश वृद्धि
बाहु स्फुरण | मधुर भोजन नेत्र स्फुरण धन प्राप्ति भग स्फुरण पति प्राप्ति बाहु मध्य धनागम नेत्रकोण स्फुरण लक्ष्मी लाभ कुक्षि स्फुरण सुप्रीति लाभ वस्तिदेश स्फुरण अभ्युदय नेत्रसमीप प्रिय समागम उदर स्फुरण कोश प्राप्ति उर:स्फुरण वस्त्र लाभ नेत्रपक्ष स्फुरण || सफलता, राज | लिंग स्फुरण स्त्रीलाभ जानु स्फुरण शत्रु वृद्धि
सम्मान नेत्रपक्ष-पलक | मुकदमेमें विजय गुदा स्फुरण वाहन प्राप्ति जंधा स्फुरण | स्वामी प्राप्ति स्फुरण नेत्रकोपाम देश | कलत्र लाभ वषण स्फुरण पुत्र प्राप्ति पादोपरि स्थान लाभ स्फुरण नासिका स्कुरण प्रीति सुख ओष्ठ स्फुरण | प्रियवस्तु लाभ| पादतल नृपत्व हस्त स्फुरण | सद् द्रव्यलाभ |
| हनु स्फुरण भय पाद स्फुरण अलाभ पल्लीपतन और गिरगिट आरोहण फल बोधक चक्र
नासाग्र
स्थान | फल स्थान | फल स्थान फल स्थान | फल स्थान | फल शिर | लाभ | ललाट | बन्धुदर्शन भ्रूमध्य राजसंबंध उत्तरोष्ठ | धननाश अधरोष्ट नवतुल्यता
| व्याधि | दक्षिणकं. आयुवृद्धि वामकर्ण बहुलाभ नेत्र २ | धन प्राप्ति द. भुज बुद्धिनाश बामभुजा राजभय कंठ शत्रुनाश स्तनद्वय दुर्भाग्य उदर भूषणलाभपृष्ठदेश | बहुधन जानुय | शुभागम जंघा | शुभ हस्सदय वस्त्रलाभ स्कन्ध विजय
प्राप्ति कटिभाग सवारी दक्षिण किष्ट, धन वाममणि कीर्ति नाशहदय धन लाभ नासिका मिष्ठान लाभ | मणिबंध नाश बंध
भोजन गुल्फ बन्धन | केशान्त | मरण दक्षिणपाद गमन मुख | स्त्री नाश पादमध्य मरण