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चतुर्दशोऽध्यायः
वैयक्तिक हानि-लाभ चक उत्पात — यनि कोई व्यक्ति बार्जोके न बजाने पर भी लगातार सात दिनों तक बाजोंकी ध्वनि सुने तो चार महीनेमें उसकी मृत्यु तथा धन हानि होती है। जो अपनी नाकके अग्रभाग पर मक्खीके न रहने पर भी मक्खी बैठी हुई देखता है, उसे व्यापारमें चार महीने तक हानि होती है। यदि प्रातःकाल जागने पर हाथोंकी हथेलियों पर दृष्टि पड़ जाय तथा हाथमें कलश, ध्वजा और छत्र यों ही दिखलाई पड़ें तो उसे सात महीने तक धनका लाभ होता है तथा भावी उन्नति भी होती है। कहीं गन्धके साधन न रहने पर भी सुगन्ध मालूम पड़े तो मित्रों से मिलाप, शान्ति एवं व्यापारमें लाभ तथा सुखकी प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति स्थिर चीजोंको चलायमान और चञ्चल वस्तुओंको स्थिर देखता है, उसे व्याधि, मरणभय एवं धननाशके कारण कष्ट होता है। प्रातःकाल यदि आकाश काला दिखलाई पड़े और सूर्यमें अनेक प्रकारके दाग दिखलाई दें तो उस व्यक्तिको तीन महीने के भीतर रोग होता है ।
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सुख दुःख की जानकारी के लिए अन्य फलादेश
नेत्रस्फुरण — आँख फड़कने का विशेष फलादेश – दाहिनी आँखका नीचे का हिस्सा कानके पासका फड़कनेसे हानि, नीचेका मध्यका हिस्सा फड़कने से भय और नाकके पास वाला नीचेका हिस्सा फड़कनेसे धनहानि, आत्मीयको कष्ट या मृत्यु, क्षय आदि फल होते हैं। इसी आँख का ऊपरी भाग अर्थात् वरौनीका कानके पासवाला भाग फड़कनेसे हानि होती है । बायीं आँख का नीचेवाला भाग नाकके पासवाला भाग फड़कनेसे सुख, मध्यका हिस्सा फड़कनेसे मंत्र और कानके पासवाला नीचे का हिस्सा फड़कनेसे सम्पत्ति लाभ होता है। ऊपर बरौनीका नाकके पासवाला भाग फड़कने से भय, मध्यका हिस्सा फड़कनेसे चोरी या धनहानि और कानके पासवाला हिस्सा फड़कनेसे कष्ट, मृत्यु अपनी या किसी आत्मीयकी अथवा अन्य किसी भी प्रकारकी अशुभ सूचना चाहिए। साधारणतया स्त्रीकी बाँयी आँख का फड़कना और पुरुषकी दाहिनी आँखका फड़कना शुभ माना जाता है, पर विशेष जानने के लिए दोनों ही नेत्रों के पृथक्-पृथक् भागोंके फड़कनेका विचार करना चाहिए।