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चतुर्दशोऽध्यायः
दिखाई पड़े तो, सिन्धु देश सौवीर देश सुराष्ट्र देश, वत्स भूमि में मरण उत्पात होगा। भोजनादिक में भय होगा, पहले ही राजा का मरण होगा, पाँच महीने में ही महाभय उपस्थित होगा॥ ६४-६५ ।।
रुद्रे च वरुणे कश्चिदुत्पात समुदीर्यते।
सप्तपक्षं भयं विन्द्याद् ब्राह्मणानां न संशयः॥६६॥ (रुद्रे च वरुणे) शिव प्रतिमा या वरुण प्रतिमा में (कश्चिदुत्पातसमुदीर्यते) कहीं कोई उत्पात दिखाई पड़े तो (ब्राह्मणानां) ब्राह्मणों के लिये (सप्तपक्षं भयं विन्द्याद्) सात पक्ष में भय होगा (न संशयः) इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ-अगर शिवजी की प्रतिमा या वरुण की प्रतिमा में कोई भी उत्पात दिखे तो समझो सात पक्ष याने तीन महीने पन्द्रह दिनों में ब्राह्मणों को भय उपस्थित होगा॥६६॥
इन्द्रस्य प्रतिमायां तु यधुत्पातः प्रदृश्यते।
संग्रामे त्रिषु मासेषु राज्ञः सेनापतेर्वधः॥१७॥ (यद्य) यदि (इन्द्रस्य प्रतिमायां) इन्द्र की प्रतिमा में (उत्पातः प्रदृश्यते) उत्पात दिखे (तु) तो (त्रिषु मासेषु) तीन महीने में ही (संग्रामें) युद्ध भूमि में (राज्ञ: सेनापते र्वधः) राजा का और सेनापति का मरण होगा।
__ भावार्थ-यदि इन्द्र की प्रतिमा में कोई भी उत्पात दिखे तो तीन महीने के अन्दर युद्ध भूमि में राजा और सेनापति का मरण हो जायगा ।। ६७॥
यद्युत्पातो बलन्देवे तस्योपकरणेषु च।
महाराष्ट्रान् महायोद्धान् सप्तमासान् प्रपीडयेत्॥६८॥ (यदि) यदि (उत्पातो) उत्पात (बलन्देवे) बलदेव की मूर्ति में व (तस्योप करणेषु च) व उसके उपकरणों में दिखाई पड़े तो (सप्तमासान्) सात महीनों में (महराष्ट्रान् महायोद्धान) महाराष्ट्र के महायोद्धाओं को (प्रपीडयेत्) पीड़ा होती हैं।
भावार्थ-यदि बलदेव की मूर्ति में व उसके उपकरणों में कोई उत्पात दिखाई पड़े तो समझो सात महीनों में महाराष्ट्र के महायोद्धाओं में पीड़ा होगी।। ६८।।