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भद्रबाहु संहिता
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आठो दिशाओंमें प्रहरानुसार छींकफल बोधकचक्र
ईशान १ हर्ष २ नाश ३व्याधि ४ मित्र संगम |
पूर्व
आग्नेय १ लाभ
१ लाभ २ धन लाभ २ मित्र दर्शन ३ मित्र लाभ ३ शुभवार्ता ४ अग्नि भय | ४ अग्नि भय
उत्तर
यात्रा
१ शत्रु भय २ रिपु संग ३ लाभ * भोजन
दक्षिण १ लाभ २ मृत्यु भय ३ नाश ४ काल
वायव्य कोण पश्चिम
नैर्ऋत्य १ स्त्री लाभ १ दूर गमन १ लाभ २ लाभ २ हर्ष
२ मित्र भेंट ३ मित्र लाभ ३ कलह
३ शुभ वार्ता ४ दूर गमन ! ४ चोर ४ लाभ इति श्रीपंचमश्रुत केवली दिगम्बराचार्य भद्रबाहु स्वामी विरचित भद्रबाहु संहिता का विशेष वर्णन करने वाला यात्रा मुहूर्त आदि का वर्णन करने वाला तेरहवें अध्याय का हिन्दी भाषानुवाद करने वाली क्षेमोदय टीका समाप्त:।
(इति त्रयोदशोऽध्यायः समाप्त:)