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भदवार संहिता
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है। गायकी पूँछ या सर्पके बिल पर बैठा हुआ काक दिखलाई पड़े तो माने में सर्पदर्शन, नाना तरहके संघर्ष और भय होते हैं। यदि काक आगे कठोर शब्द करता हुआ स्थित हो तो हानि, रोग; पीठ पीछे स्थित हो कठोर शब्द करे तो मृत्यु एवं खाली बैठकर शब्द कर रहा हो तो यात्रा सदा निन्दित है। सूखे काठके ट्रॅकको तोड़कर चोंचके अग्रभागमें दबाकर रखा हो और बायें भागमें स्थित हो तो मृत्यु, नाना प्रकारके कष्ट होते हैं। यदि चोंचमें काक हड्डी दबाये हो तो अशुभ फल होता है। वामभागमें सूखे वृक्ष पर काक स्थित हो तो अतिरोग, खाली या तीखे वृक्ष पर बैठा हो तो यात्रामें कलह और कार्यनाश एवं काँटेदार वृक्षपर स्थित होकर रूखा शब्द करे तो यात्रामें मुत्यु होती है।
भग्नशरणके वृक्ष पर स्थिति काक कठोर शब्द करता हो तो यात्रा में धनक्षय, कुटुम्बी मरण एवं नाना तरहसे अशुभ होता है। यदि छत पर बैठकर काक बोलता हो तो यात्रा नहीं करनी चाहिए। इस शकुनके होने पर यात्रा करनेसे वज्रपात—बिजली गिरती है। यदि कूड़े के ढेर पर या राख-भस्मके ढेर पर स्थित होकर काक शब्द करे तो कार्यका नाश होता है। अपयश, धनक्षय एवं नाना तरहके कष्ट यात्रामें उठाने पड़ते हैं। लता, रस्सी, केश, सूखी लकड़ी, चमड़ा, हड्डी, फटे-पुराने चिथड़े, वृक्षोंकी छाल, रुधिरयुक्त वस्तु, जलती लकड़ी एवं कीचड़ काक की चोंचमें दिखलाई पड़े तो यात्रामें पापयुक्त कार्य करने पड़ते हैं, यात्रामें कष्ट होता है, धनक्षय या धनकी चोरी, अचानक दुर्घनाएँ आदि घटित होती हैं। छाया, आयुध, छत्र, घड़ा, हड्डी, वाहन, काष्ठ एवं पाषाण चोंचमें रखे हुए काक दिखलाई पड़े तो यात्रा करनेवाले की मृत्यु होती है। एक पाँव समेटकर, चञ्चल चित्त होकर जोर-जोरसे कठोर शब्द करता हो तो काक युद्ध, झगड़े, मार-पीट आदिकी सूचना देता है। यदि यात्रा करते समय काक अपनी बीट यात्रा करनेवालेके मस्तक पर गिरा दे तो यात्रामें विपत्ति आती है। नदीतट या मार्गमें काक तीव्रस्वर बोले तो अत्यन्त विपत्तिकी सूचना समझ लेनी चाहिए। यात्राके समयमें यदि काक रथ, हाथी घोड़ा और मनुष्यके मस्तक पर बैठा दीख पड़े तो पराजय, कष्ट, चोरी और झगड़ेकी सूचना समझनी चाहिए। शस्त्र, ध्वजा, छत्र पर स्थित होकर काक आकाशकी ओर देख रहा हो तो यात्रामें सफलता समझनी चाहिए।