________________
भद्रबाहु संहिता
२५४
शराब, हड्डी, खार, लाख, मेघ, मधु, आगके अङ्गारे, नख, केश, मांस, शोणित (रक्त) कीचड आदि की वर्षा करते हैं। ऐसे गर्भ बहुत ही भयानक होते है सर्वत्र विनाश की ही सूचना देते हैं॥१२-१३ ।।
कार्तिकं चाऽथ पौषं च चैत्र वैशाख मेव च।
श्रावणं चाश्चिनं सौम्यं गर्भ विन्द्याद् बहूदकम् ।। १४॥ (कार्तिकं) कार्तिक (पौषं) पौष (चैत्र) चैत्र (वैशाख) वैशाख (च) और (श्रावणं) श्रावण, (चाश्विनं) और आश्विन मासके (गर्भ) गर्भ (सौम्यं) सौम्य होते हैं (बहूदकम्) बहुत पानी बरसाने वाले (विन्द्याद्) होते है ऐसा जानो।
भावार्थ-यदि सौम्य गर्भ कार्तिक, पौष, चैत्र, वैशाख और श्रावण, आश्विन मासमें हो तो समझो बहुत वर्षा होगी। इन महीनों के गर्भ सौम्य होते हैं॥१४ ।।
ये तु पुष्येण दृश्यन्ते हस्तेनाभिजिता तथा। अश्विन्यां सम्भवन्तश्च ते पश्चान्नैव शोभनाः॥१५॥ आर्द्राऽऽश्लेषासु ज्येष्ठासु मूले वा सम्भवन्ति ये।
ये गर्भागमदक्षाश्च मतास्तेऽपि बहूदकाः ॥१६॥ (ये तु) जो (पुष्येण) पुष्य नक्षत्र को वा (हस्तेनाभिजिता) हस्त, अभिजित (तथा) तथा (अश्विन्यां) अश्विनि नक्षत्रोंमें गर्भ (दृश्यन्ते) दिखाई पड़े तो (सम्भवन्तश्च) सम्भव होते है तो शुभ है, (ते) उसके (पश्चान्नैवशोभनाः) बादके शुभ नहीं है। (च) और (ये) जो गर्भ (आर्द्रा) आद्रा (अऽश्लेषासु) अश्लेषु, (ज्येष्ठासु) ज्येष्ठा (वा) वा (मूले) मूल नक्षत्रको (सम्भवन्ति) दिखाई पड़े (ये) तब (गर्भागमदक्षाश्च) गर्भागममें दक्ष जनका (मतास्तेऽपि) ऐसा ही मत है कि (बहूदकाः) बहुत वर्षा हो।
भावार्थ-यदि पुष्य नक्षत्र हस्त, अभिजितद अश्विन, नक्षत्रमें गर्भ दिखे तो शुभ है अन्य नक्षत्रों को शुभ नहीं है, आद्रा आश्लेषा ज्येष्ठा मूल नक्षत्र में यदि गर्भ दिखे तो बहुत वर्षा होगी ऐसा जानो, गर्भ के लक्षण व फल को जानने वाले निमित्तज्ञों का ऐसा ही कहना है॥१५-१६॥