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द्वादशोऽध्यायः
ही पानी बरसायेंगे, और रात्रि में यदि गर्भ दिखे तो दिन में जलकी वर्षा करेगे ऐसा समझना चाहिये॥३॥
सप्तमे सप्तमे मासे सप्तमे सप्तमेऽहनि।
गर्भाः पाकं विगच्छन्ति यादृशं तादृशं फलम् ॥ ४॥ (सप्तमे सप्तमे मासे) सात-सात महीने और (सप्तमे सप्तमेऽहनि) सात-सात दिन में, (गर्भाः) गर्भ (पाकं) एक (विगच्छन्ति) जाते है (यादृशं तादृशं फलम्) जैसा गर्भ वैसा ही फल।
भावार्थ- सातवें महीने के गर्भ सात महीने में और सात दिन के गर्भ सातवें महीनेमें गर्भ पक जाते हैं जैसा गर्भ वैसा ही फल होता है अर्थात् आज अगर गर्भ दिखाई पड़ा तो समझो वो गर्भ सात महीना और सात दिन में वर्षा करेगा, यद्यपि वराह संहिता में १९६ दिन है किन्तु जैनाचार्यों ने सात महीना और सात दिन माना है।। ४ ।।
पूर्वसन्ध्या समुत्पन्नः पश्चिमायां प्रयच्छति।
पश्चिमायां समुत्पन्नः पूर्वायां तु प्रयच्छति ।।५।। (पूर्वसन्ध्यासमुत्पन्न:) पूर्व संध्यामें धारण किया गया गर्भ (पश्चिमायां) पश्चिमसंध्यामें (प्रयच्छति) बरसता है और (पश्चिमायां समुत्पन्न:) पश्चिमसंध्यामें गर्भ धारण हो तो (पूर्वायांतु प्रयच्छति) पूर्व सन्ध्यामें फल देता है।
भावार्थ-गर्भ यदि प्रात:काल धारण करे तो समझो सन्ध्या काल में वो गर्भफल देने लगेगा याने बरसने लगेगा और सन्ध्याकालमें यदि गर्भ धारण हो तो प्रात:काल वर्षा होगी ऐसा समझो।।५।।
नक्षत्राणि मुहर्ताश्च सर्वमेवं समादिशेत्।
षण्मासं समतिक्रम्य ततो देवः प्रवर्षति ।। ६॥ (सर्वमेवं) सब ही (नक्षत्राणि) नक्षत्रोंमें (च) और (मुहूर्ताः) मुहूर्तों में गर्भ धारण (समादिशेत) कहे गये हैं इसलिये (षण्मासं) छह महीने के (समतिक्रम्य) कालमें (ततो) वह (देव:) वर्षा (प्रवर्षति) होती है।