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नवमोऽध्यायः
व्यापारिक फलादेश-आषाढ़ी पूर्णिमाको प्रात:काल पूर्वीय हवा, मध्याह्नकाल दक्षिणीय हवा, अपराह्नकाल पश्चिमीय हवा और सन्ध्यासमय उत्तरीय हवा चले तो एक महीनेमें स्वर्णके व्यापारमें सवाया लाभ, चाँदीके व्यापारमें डेढ़गुना तथा गुड़के व्यापारमें बहुत लाभ होता है। अन्नका भाव सस्ता होता है तथा कपड़े
और सूतके व्यापारमें तीन महीनों तक लाभ होता रहता है। यदि इस दिन प्रात:कालसे सूर्यास्त काल तक दक्षिणीय हवा ही चलती रहे तो सभी वस्तुएँ पन्द्रह दिनके बाद ही महँगी होती हैं और यह महँगीका बाजार लगभग छ: महीने तक चलता है। इस प्रकारके वायुका फल विशेषत: यह है कि अन्नका भाव बहुत मँहगा होता है तथा अन्नकी कमी भी हो जाती है। यदि आधे दिन दक्षिणीय वायु चले, उपरान्त पूर्वीय या उत्तरीय वायु चलने लगे तो व्यापारिक जगत्में विशेष हलचल रहती है तथा वस्तुओंके भाव स्थिर नहीं रहते हैं। सट्टेके व्यापारियोंके लिए उक्त प्रकारका निमित्त विशेष लाभ सूचक है। यदि पूर्वार्ध भागमें उक्त तिथिको उत्तरीय वायु चले
और उत्तरार्द्ध में अन्य किसी भी दिशाकी वायु चलने लगे तो जिस प्रदेशमें यह निमित्त देखा गया है, उस प्रदेशके दो-दो सौ कोश तक अनाजका भाव सस्ता तथा वस्त्रको छोड़ अवशेष सभी वस्तुओं का भाव भी सस्ता ही रहता है। केवल दो महीने तक वस्त्र तथा श्वेत रंगके पदार्थों के भाव ऊँचे चढ़ते हैं तथा इन वस्तुओंकी कमी भी रहती है। सोना, चाँदी और अन्य प्रकारको खनिज धातुओंका मूल्य प्राय: सम रहता है। इस निमित्तके दो महीने के उपरान्त सोनेके मूल्यमें वृद्धि होती है। यद्यपि कुछ ही दिनोंके पश्चात् पुन: उसका मूल्य गिर जाता है। पशुओंका मूल्य बहुत बढ़ जाता है। गाय, बैल और घोड़ेके मूल्यमें पहलेसे लगभग सवाया अन्तर आ जाता है। यदि आषाढी पूर्णिमाकी रातमें ठीक बारह बजेके समय दक्षिणीय वायु चले तो उस प्रदेशमें छ: महीनों तक अनाजकी कमी रहती है और अनाजका मूल्य भी बहुत बढ़ जाता है। यदि उक्त तिथिकी मध्यरात्रिमें उत्तरीय हवा चलने लगे तो मशाला, नारियल, सुपाड़ी आदिका भाव ऊँचा उठता है, अनाज सस्ता होता है। सोना, चाँदीका भाव पूर्ववत् ही रहता है। यदि श्रावण कृष्णा प्रतिपदाको सूर्योदय कालमें पूर्वीय हवा मध्याह्न में उत्तरीय, अपराह्न में पश्चिमीय हवा और सन्ध्या काल में उत्तरीय हवा चलने लगे तो लगभग एक वर्ष तक अनाज सस्ता रहता है, केवल आश्विन मासमें अनजा महँगा होता है, अवशेष सभी महीनोंमें