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भद्रबाहु संहिता
अनाज सस्ता रहता है, केवल आश्विन मासमें अनाज महंगा होता है, अवशेष सभी महीनोंमें अनाज सस्ता ही रहता है। सोना, चाँदी और अभ्रक का भाव आश्विनसे माघ तक सस्ता तथा फाल्गुनसे ज्येष्ठ तक महँगा रहता है। व्यापारियोंको कुछ लाभ ही रहता है। उक्त प्रकारके वायु निमित्तसे व्यापारियोंके लिए शुभ फलादेश ही समझा जाता है। यदि इस दिन सन्ध्याकालमें वर्षा के साथ उत्तरीय हवा चले तो अगले दिनसे ही अनाज महँगा होने लगता है। उपयोग और विलासकी सभी वस्तुओंके मूल्यमें वृद्धि हो जाती है, विशेष रूपसे आभूषणोंयके मूल्य भी बढ़ जाते हैं । जूट, सन, मूंज आदिका भाव भी बढ़ता है। रेशमकी कीमत पहलेसे डेढगुनी हो जाती है। काले रंगकी प्राय: सभी वस्तुओंके भाव सम रहते है। हरे, लाल
और पीले रंगकी वस्तुओंका मूल्य वृद्धिंगत होता है। श्वेतरंगके पदार्थों का मूल्य सम रहता है। यदि उक्त तिथिको ठीक दोपहरके समय पश्चिमीय वायु चले तो सभी वस्तुओंका भाव सस्ता रहता है। फिर भी व्यापारियोंके लिए यह निमित्त अशुभ सूचक नहीं; उन्हें लाभ होता है। यदि श्रावणी पूर्णिमाको प्रात:काल वर्षा हो और दक्षिणीय वायु भी चले तो अगले दिनसे ही सभी वस्तुओंकी महँगाई समझ लेनी चाहिए। इस प्रकारके निमित्तका प्रधान फलादेश खाद्य पदार्थोक मूल्यमें वृद्धि होना है। खनिज धातुओंके मूल्योंमें भी कुछ वृद्धि होती है, पर थोड़े दिनोंके उपरान्त उनका भाव भी नीचे उतर आता है। यदि उक्त तिथिको पूरे दिन एक ही प्रकारकी हवा चलती रहे तो वस्तुओंके भाव सस्ते और हवा बदलती रहे तो वस्तुओंके भाव ऊँचे उठते हैं। विशेषतः मध्याह्न और मध्यरात्रिमें जिस प्रकारकी हवा हो, वैसा ही फल समझना चाहिए। पूर्वीय और उत्तरीय हवासे वस्तुएँ सस्ती और पश्चिमीय और दक्षिणीय हवाके चलने से वस्तुएँ महँगी होती हैं।
इति श्री पंचम श्रुत केवली दिगम्बराचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी विरचित भद्रबाहु संहिता का विशेष वर्णन वायुओं का लक्षण व फल आदि का वर्ण करने वाला नवम अध्याय का हिन्दी भाषानुवाद नामक क्षेमोदय टीका समाप्तः ।
(इति नवमोऽध्यायः समाप्त:)