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भद्रबाहु संहिता
(शकुने) शकुन आदि में (यदा) जब (मेघाः) मेघ आकाशमें (सम्भवन्ति) दिखलाई पड़े तो (पापदास्ते) पापरूप व (भयङ्कराः) भयंकर होते हैं।
भावार्थ-यदि मेघ आकाश में अशुभ तिथि नक्षत्र मुहूर्त करण, शकुन आदि को दिखलाई पड़े तो समझो मेघ पाप रूप है उन का फल बहुत ही भयंकर होने वाला है।।१९॥
एवं लक्षण संयुक्ताश्चमूं वर्षन्ति ये घनाः।
चमूं सनायकां सर्वां हन्तुमाख्यान्ति सर्वशः ।। २०॥ (ये) वे (घनाः) मेघ (एवं) हम पकार के (लक्षण) लक्षण से (संयुक्ताश्चमूं) संयुक्त होकर सेना के ऊपर (वर्षन्ति) बरसते है तो, (चमूं) सेना व (सनायकां) उसके नायक सहित (सर्वां) सबका (हन्तुमाख्यान्ति) हनन होगा ऐसा कहा गया है, (सर्वश:) सब तरह से।
___ भावार्थ-इस प्रकार के लक्षण वाले यदि मेघ जिस सेनाके ऊपर बरस जाते हैं तो समझो अवश्य ही, उस सेना के नायकसहित सबका विनाश हो जायेगा, ऐसा आचार्यश्री ने सूचित किया है।। २० ॥
रक्ते: पांशुः सघूमं वा क्षौद्रं केशाऽस्थिशर्कराः।
मेघाः वर्षन्ति विषये यस्य राज्ञो हतस्तु सः॥२१॥ मेघ (रक्ते:) लालरंग के (पांशु) धुलि (सघूम) धुम (वा) वा (क्षौद्र) मधु (केशा) केश (अस्थि) हड्डी (शर्करा:) शकर के समान होकर (विषये) जिसके ऊपर (वर्षन्ति) बरषते है (यस्य) तो उसी का (राज्ञो) राजा (हतस्तु स:) मारा जाता है।
भावार्थ-यदि मेघ लालरंग के होकर धूली समान हो धूम्र के समान हो मधु के समान हो केश के समान हो हड्डी के समान हो शर्करा के समान होकर जिस राजा के ऊपर बरसते हैं वही राजा मारा जाता है।। २१॥
क्षारं वा कटुकं वाऽथ दुर्गन्धं सस्य नाशनम्। यस्मिन् देशेऽभि वर्षन्ति मेघा देशो विनश्यति ।। २२॥