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भद्रबाहु संहिता
की बनावट से प्रकट होती हैं एक बुरी तथा अस्पष्ट मस्तिष्क रेखा, दाँयें हाथ में इच्छाओं तथा लक्ष्य की कमी द्योतक है।
एक साफ स्पष्ट गहरी रेखा मानसिक शक्ति को अधिक दृढ़ता से प्रकाशित करती हैं वनस्पित एक चौड़ी या वैसी ही हथेली पर पड़ी रेखा के एक चौड़ी मोटी रेखा परिवर्तनशील प्रकृति तथा कम एकाग्रता बताती हैं। यह रास्ता यानि यह बात सब रेखाओं के विषय में सत्य हैं।
___चौड़ी बुरी लगने वाली रेखाएँ मानसिक की अपेक्षा शारीरिक दशाओं की द्योतक हैं यह उस दशा में पाई जाती हैं जबकि मनुष्य बाहर घूमता हैं अथवा उन मनुष्यों में जो कि मानसिक की अपेक्षा शारीरिक विकास करते हैं।
अच्छे दिमाग वाले अधिकतर पतली सुन्दर, स्पष्ट रेखायें रखते हैं और विशेष करके दिमाग की रेखा ऐसी ही होती हैं।
विद्यार्थी इस प्रकार देखने से यह मालूम कर सकता है। कि वह मनुष्ष कैसा जीवन व्यतीत करता हैं चाहे मनुष्य कितना भी दिमागी क्यों न हो किन्तु हाथ की रेखाएँ यह बता देती है कि मनुष्य ने दिमाग की कितनी उन्नति की हैं इस प्रकार यह देखा गया है कि ललाट की रेखाओं की अपेक्षा हाथ की रेखायें अधिक ठीक है बहुत-से मनुष्य तथा स्त्रियाँ जो कि सुन्दर बुद्धिमान चेहरे रखते हुए भी घर से बाहर एक घूमने वाले का जीवन तथा खेल को पसन्द करते हैं।
तब इसके अन्तिम भाग की बनावट को छोड़कर विद्यार्थी को इस रेखा के आरम्भ की ओर ध्यान देना चाहिये। उदाहरणार्थ-मस्तिष्क रेखा तीन पृथक्-पृथक् स्थानों से शुरू होती हैंजीवन रेखा के अन्दर की ओर से
(चित्र 1. 1-1) जीवन रेखा से मिली हुई
(चित्र 1. 2-2) जीवन रेखा के बाहर की ओर से
(चित्र 1. 3-3) मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के अन्दर से यह अधिक निश्चित हैं यह बतलाती हैं कि मनुष्य अत्यधिक भावुक अत्यधिक चैतन्य तथा कायर होता हैं यह भी बतलाती हैं कि वह मानव बहुत शीघ्र ही तेज