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कर हस्त रेखा ज्ञान
तथा बहुत ही घबरा जाने वाला हैं जो कि अपने ऊपर या स्वभाव पर तनिक भी शासन नहीं रखता हैं जो जल्दी ही गुस्से में आ जाता हैं तथा बहुत ही डांवाडोल स्थिति की वस्तुयें कर सकते हैं, या जब वह चिड़चिड़ा हो जाता है तो स्थिति बचाकर निकल जाता हैं। ऐसे मनुष्य सदा इस मुसीबत में रहते हैं कि विशेष करके झगड़ने में उन वस्तुओं पर जो कि कम अर्थ रखती वे अपनी इच्छाओं में भी इतने शीघ्र ही जख्मी हो जाते हैं कि एक ही दृष्टि उनको आपे से बाहर कर देती हैं और उनका स्वभाव कुछ दिनों के लिये बिगड़ जाता हैं।
यह लाइन आगे जाकर हथेली में सीधी हो जाती है तो वह मानव बाद में अपनी दिमागी उन्नति करके अत्यधिक भावुकता के ऊपर विजय पा लेता हैं यदि यह रेखा कलाई की ओर झुक जाती हैं तब मनुष्य अपने आगामी सालों में और भी खराब हो जायेगा यदि मस्तिष्क रेखा भी बुरी प्रकार से बनी हैं या बाल रेखाओं के समान हैं तो वह मानव एक प्रकार का पागलपन जो कि मानव को उसके आगामी जीवन में खुश्किल से रेखा दिखे या देखी जायगी।
यदि ऊपर लिखित चिह्न के साथ व्यक्ति की और भी रेखायें जैसे कि भाग्य की रेखा आदि बीच हथेली के बाद धीमी पड़ जाती हैं तो पागलपन तथा मुसीबतों का आना निश्चित हैं।
इस प्रकार की रेखा अधिकतर उन मनुष्यों के हाथ में पाई जाती है जो कि स्वाभाविक ही शराब और हर एक के बुरे स्वभाव की और झुक जाती हैं।
___ कहीं-कहीं जबकि अच्छी रेखायें हाथ में होती हैं यह पाया जाता है कि वह मनुष्य यदा-कदा बुरे स्वभावों या बुरी इच्छाओं को रास्ता देता हैं शुक्र के उभार की विशेषतायें जहाँ से कि यह मस्तिष्क रास्ता देता है। शुक्र के उभार की विशेषताएं जहाँ से कि यह मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के अन्दर से आरम्भ होती हैं, ऊपर लिखित हैं शुक का दूसरा सामने वाला उभार, प्रथम वाले के विपरीत मानसिक काबू बतलाता हैं यहाँ तक कि जबकि मस्तिष्क रेखा हथेली के बीच से गुजरती हैं वह इस मानसिक शुक्र में हिस्सा बटा लेती हैं और इससे ज्ञात होता है कि वह मनुष्य अपने पापी जीवन में ऐसी मस्तिष्क रेखा के रखते हुए भी मानसिक काबू की उन्नति करेगा झुकी हुई मस्तिष्क रेखा से मनुष्य मानसिक काबू करने में असफल रहता हैं और उसकी प्रारम्भिक प्रवृत्तियाँ ही उसकी गुरु बन जाती हैं।
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