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भद्रबाहु संहिता
अंगूठा का तीसरा हिस्सा जो कि प्रेम के लिए (चित्र चार भाग दो) जब लम्बा पाया जाता हैं तो यह प्रेम की प्रवृत्ति पर अधिकार प्रदशित करता हैं जबकि छोटा और मोटा होता हैं। तो इच्छाएँ अधिक कठोर तथा पशुता के लिए होती
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उँगलियाँ-एक-दूसरे से लम्बाई एकसी तथा गांठदार (Smoot and knotty) पहली उंगली वृहस्पति की उंगली कहलाती हैं। दूसरी उंगली शनि की उंगली कहलाती हैं। तीसरी उंगली सूर्य की उंगली कहलाती हैं। चौथी उंगली बुध की उंगली कहलाती हैं।
जब वृहस्पति की उंगली लम्बी होती हैं तो वह प्रेम तथा दूसरों पर अधिकार करने की शक्ति बतलाती हैं। जब छोटी होती हैं तो उत्तरदायित्व अनिच्छा तथा इच्छाओं की कमी बतलाती हैं।
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Anita साखर और मोजिती गट दाए 'जोहनी