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हस्त रेखा ज्ञान
लचीले अंगूठे वाला मनुष्य इसके विपरीत बहुत शीघ्र बातचीत में घूमता है और अक्सर यात्रा करते समय गहरे दोस्त बना लेता हैं। हँसमुख, मधुर भाषा तथा दूसरों की इच्छाओं को शीघ्र अपनाता हैं। वास्तव में यह स्वभाव एक कमजोरी को बचाता है सारे स्त्री, पुरुष जो कि आसान रास्ता अपनाते हैं लचीला अगूंठा रखते हैं। यह मस्तक रेखा से अधिक प्रभावित होते हैं।
__ लचीला जोड़ रखने से नीचे या बीच का जोड़ इच्छा को सम्बन्धित नहीं रखता लेकिन तर्क के हिस्से को बतलाता है। जब यह दूसरा जोड़ लचीला होता है तो मनुष्य आदमियों की उपेक्षा वातावरण को अधिक धारण करता है। वह सोच निकालता है कि उसे जीवन के वातावरण को जिसमें कि वह रहता हैं धारण करना चाहिए या झकना चाहिए।
गदाकार अगूंठा (Fig.1 चित्र 3) गदा के समान मोटा होने के कारण कहलाता है। ऐसे मनुष्य जहां तक कि इच्छाओं का सम्बन्ध है। साधारण श्रेणी के ही होते हैं। वे निर्दयी होते हैं और विवेचना शक्ति में पशुओं के समान दृढ़ होते हैं। जबकि उनकी मुखालफत की जाती है। तो वे काबू में न होने वाले गुस्से तथा क्रोध से भर जाते हैं।
वे अपने ऊपर कोई अधिकार नहीं रखते और वे अपने गुस्से में किसी भी अपराध तथा क्रोध में किसी भी हद तक पहुँच जाते हैं। वास्तव में गदाकार अंगुठा एक 'खूनी-अंगुठा' होता है। और ऐसा अगुंठा रखने वाले अक्सर खूनी ही पाये जाते हैं।
गदाकार अगुंठा रखने वाला अपराध या पाप को प्रथम से नहीं सोच रखता क्योंकि उसमें दृढ़ इच्छाओं तथा विवेचना शक्ति की कमी होती है। अगुंठा जितना भी छोटा होता है मनुष्य पशुत्व के उतने ही समीप तथा आत्म-संचालन की कमी रखता है। (Waist Like) कनर के समान {Fig Four चित्र three) और (Straight) सीधा अगुंठा (Fig Five) एक दूसरे के विपरित प्रवृत्तियाँ रखता हैं लेकिन अन्तर तर्क तथा विवेचना की किस्म में है। पहले प्रकार का मनुष्य ऐसी बातों पर अधिक निर्भर नहीं रहता किन्तु इसके विपरीत अपने लक्ष्य को यह मुक्ति तथा कुटिल नीति से अपनायेगा। दूसरे प्रकार के मनुष्य कोई युक्ति नहीं रखते लेकिन सभी बातों में बहस तथा विवेचना पर निर्भर रखते हैं।