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भद्रबाहु संहिता
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सांसारिक सफलता या स्थान के लिए अधिक आदर्शात्मक होते हैं यदि यह रेखा उन मनुष्यों के हाथ पर हो तो उसका खुश तथा अच्छा स्वभाव होता हैं और उनके स्वप्न ही उनके लिए वस्तु होती हैं जिन मनुष्यों के हाथ पर यह सूर्य-रेखा नहीं होती उनकी अपेक्षा वे मनुष्य जिनके हाथों पर यह रेखा होती हैं अधिक भावुक होते हैं। इसलिए यह रेखा कलात्मक प्रकृति की झोतक है! लेकिन वह वस्तु जो कि 'कलात्मक प्रकृति' से ज्ञात होती हैं अच्छी वस्तुओं से प्यार, वातावरण से सहानुभूति और ऐसी ही बातों में होती हैं। जहाँ कि वह मनुष्य जो कि यह रेखा नहीं रखते बहुत कम अपने वातावरण को देखते हैं और बहुत गन्दे घर में भी उसी खुशी से रहते हैं। उनको काले-पीले हो या इन तीनों का कोई भी डरावना मेल हो, तकलीफ नहीं दे सकता।
जब सूर्य के उभार पर बहुत सी रेखायें हों तो वे भी कलात्मक कृति ही बनाती हैं लेकिन यदि विचारों, लक्ष्यों की बहुलता हो तो असली सफलता रुक
जाती है।
दो या तीन सूर्य रेखाएँ जबकि समानान्तर हों तो अच्छी होती हैं और दो या तीन फर्क क्षेत्रों में सफलता बतलाती हैं लेकिन एक साफ, सीधी तथा स्पष्ट रेखा सब से अच्छी है।
___ सूर्य-रेखा पर कहीं भी कोई द्वीप सफलता में बाधक हैं किन्तु उस ही अवधि के लिए जहाँ कि यह होता हैं (5 चित्र 15) हर दशा में यह सार्वजनिक बदनामी ही दिखाता हैं सारी विपरीत रेखायें जैसे जबकि वह अंगूठे की ओर से आकर काटती हैं और विशेषकर वे जो शुक्र के उभार से या उसकी ओर से आती हैं, बुरी हैं (6-6 चित्र 15) यदि वे विपरीत रेखायें किसी भी दशा में सूर्य-रेखा के बीच से या उनको रोकती या काटती हैं तो वे उस मनुष्य की उसके खिलाफ मनुष्यों के प्रति घृणा बतलाती हैं। शुक्र के उभार से आने वाली ये विपरीत रेखायें उस मनुष्य की जाति के ही मनुष्यों के प्रति दखल डालती हैं। यदि वे मंगल के उभार से आवे तो वे उस मनुष्य की विपरीत जाति के प्रति बतलाती (6-6 चित्र 15)
एक सितारा ( ) सूर्य-रेखा पर सबसे अधिक भाग्यशाली निशान हैं।
एक चतुर्भुज ( ) शत्रुओं के आक्रमण या उसकी स्थिति को गिराने के कार्यों के प्रति रक्षा का चिह्न हैं।