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हस्त-रेखा ज्ञान
एक गुणा ( ) का चिह्न सूर्य-रेखा पर एक भाग्यहीन निशान है उस मनुष्य की स्थिति तथा नाम के सम्बन्ध में मुसीबतों की निशानी हैं।
एक खाली हाथ ( ) पर सूर्य-रेखा सम्पूर्ण शक्ति खो बैठती हैं और उसकी अच्छी आशायें कभी भी पूर्ण नहीं होती है।
सूर्य-रेखा का बिल्कुल हीन होना, चाहे और सम्पूर्ण रेखायें भली प्रकार अच्छी हों जनता की जान-पहचान उसके लिए मुश्किल ही नहीं वरन् असम्भव भी होगी चाहे वे कितनी ही चतुर क्यों न हो दूसरे शब्दों में उनका जीवन सदा अन्धकार में ही रहेगा मनुष्य उनके कार्यों को नहीं देखेंगे और सफलता का सूर्य उनके कार्य-पथ पर कभी भी उदय न होगा।
हृदय-रेखा वह रेखा हैं जो अंगुलियों के नीचे और अक्सर प्रथम अंगुली की जड़ में से आरम्भ होती हुई चौथी अंगुली पर जाकर समाप्त होती हैं (1-1 चित्र 16)
हृदय-रेखा साफतौर से प्रेम से सम्बन्ध रखती हैं और विशेष कर मनुष्य की प्रेम की मानसिक स्थिति से ( ) यह याद रखना चाहिए कि यह रेखा हाथों के मानसिक भाग्य पर होती हैं।
हृदय-रेखा गहरी, साफ और अच्छे रंग की होनी चाहिए यह बृहस्पति के उभार से आखरी सिरे से भी आरम्भ होती हैं (2 चित्र 16) इस उभार के मध्य में से पहली तथा दूसरी अंगुली के बीच के स्थान (३ चित्र 16) शनि के उभार से (4 चित्र 16) और बिल्कुल शनि के उभार के नीचे से (5 चित्र 16) बृहस्पति के उभार के बाहर से आरम्भ होने से यह प्रेम में 'अन्ध-उत्साह बतलाती हैं एक स्त्री या पुरुष जो अपने प्रेम का आदर्श इतना ऊँचा बनाता हैं कि उसे न तो असफलता से पापी ही वहाँ तक पहुँचते हुए देखे जाते हैं उन मनुष्यों को अपने प्रेम में गर्व सारी बहसों से परे हैं और ऐसी हद तक पहुँचने वाले मनुष्य अपने प्रेम में बुरी तरह कष्ट उठाते हैं।
बृहस्पति के उभार के बीच से शुरू होने से हृदय-रेखा अधिक समय तक आदर्श होती हैं और सारी किस्मों में से ये सबसे अच्छी किस्म हैं।
ऐसी रेखा रखने वाले मनुष्य अपने प्रेम में अधिक दृढ़ होते हैं और वे आदर्श