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बाहु संहिता |
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केवल अपने ही उभार पर यह सफलता तथा खुशी बतलाती है किन्तु जीवन में इसके बाद उसका मूल्य बहुत कम रह जाता हैं। जबकि तीसरी अंगुली एक अच्छी सूर्य-रेखा के साथ में, पहली अंगुली से लम्बी हो तो जुए का शौक अधिक परिमाण में होगा लगभग सभी सफल जुआरी ये दो निशान रखते हैं।
___ जबकि तीसरी अंगुली बहुत लम्बी हो तथा मुड़ी हुई या टेड़ी हो तो वह मनुष्य धन को हर कीमत पर लेने के लिए तैयार होगा यह बुरा चिह्न अधिकतर चोरों तथा पापी मनुष्यों के हाथ पर होती हैं जबकि वे धन के लिए कैसा भी पाप तथा अपराध करने के लिए तैयार रहते हैं।
नोट-यदि मस्तक रेखा हाथ में बहुत ऊँची उठ गई हो और विशेष कर यदि वह अन्त में ऊंची उठ गई हो (3-3 चित्र 3) तो यह बुरी प्रकृतियाँ और भी दृढ़ होती हैं।
यदि यह रेखा कलात्मक शक्ल के हाथ की नुकीली तथा लम्बी अंगुलियों में हो तो और क्षेत्र की अपेक्षा कला मंच तथा जनता में गाने के क्षेत्र में अधिक सफलता देती हैं।
भाग्य की दोहरी रेखा जबकि भाग्य रेखा स्वयं दोहरी (2-2 चित्र 14) हो तो यह दोहरी जिन्दगी का निशान हैं। लेकिन यदि कुछ दूर चलने पर आपस में मिल जाती या एक हो जाती हैं तो यह बतलाती है कि यह किसी गहरे प्रेम के कारण उत्पन्न हुई है और परिस्थितियाँ एकता को रोकती हैं लेकिन ये रुकावटें जबकि वे दोनों मिल जाती है तो दूर हो जाती हैं।
जबकि भाग्य की दोहरी रेखा साफतौर से बनी हो विशेषकर दोनों फर्क दो उभारों की ओर झुका हो एवं जीवन-पथ साथ-साथ चल रहे हो तो मुख्य पथ है और दूसरा दिल पसन्द हैं।
__ यदि भाग्य रेखा बहुत ही धीमी हो तो वह भाग्य तथा तकदीर में अविश्वास बतलाती हैं। यह प्राय: आत्मवादी मनुष्य केवल अपनी मानसिकता से ही सफलता प्राप्त करते है लेकिन उनका भाग्य विस्तार पूर्वक नहीं बताया जाता और ऐसे मनुष्यों