SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कविवर परिमल्ल परिमल्ल १६वीं-१७वीं शताब्दी के कवि थे । उनका जन्म ग्वालियर में हुआ लेकिन उनकी जवानी एनं बुद्धापा आगरा में व्यतीत हा 1 कवि का परिवार एवं पूर्वज अत्यधिक प्रतिष्ठित एवं राज्य द्वारा सम्मानित थे। उसने अपने पूर्वजों का निम्न प्रकार उल्लेख किया है चन्ता गौरी रामदास चौधरी पासवारन चौधरी परिमल्ल चौधरी चन्दन चौधरी ग्वालियर के महाराजा मानसिंह द्वारा सम्मानित व्यक्ति थे । सम्भवतः वे मानसिंह के विश्वस्त उच्चाधिकारी प्रयवा नगर सेठ थे । उनका यश एवं ख्याति सारे देश में व्याप्त थी। उनके पुत्र रामदास जो कवि के बाद ये अपार सम्पत्ति के स्वामी थे। जीवन में उन्होंने अपार सुख प्राप्त किया। उनके पुत्र एवं परिमल्ल कवि के पिता मासकरन अपने कुल के दीपक थे और अपने परिवार की ख्याति एवं प्रतिष्ठा को पूर्ण रूप से बनाये रखा था। ऐसे परिवार में जब परिमल्ल का जन्म हुया तो चारों ओर प्रसन्नता छा गयी। परिवार एवं माता-पिता का उन्हें पूरा लाड प्यार मिला | ग्वालियर में ही उनकी शिक्षा दीक्षा हुई और यहीं अपने पिता की छत्रछाया में उनका बाल्यकाल समाप्त हुआ। कवि दिगम्बर जैन बरहिया आति के थावक थे। उस समय ग्वालियर में बरहिया जाति के अच्छी संख्या में घर थे । सभी वैभव सम्पन्न मर्यादा पूर्ण एवं मशस्थी थे। लेकिन कवि के पूर्ण होने वाले महाकवि रबधू ने बरहिया जाति का गोवरि गिरि गढ़ उत्तिम थांम, सूरवीर तहां राजा मान । ता प्रागं चोदन चौधरी, कोरति सब जग में बिस्तरो ॥३५॥ जाति बरहिया गुनं गंभीर, प्रति प्रसाप कुल राजे धीर । ता सुत रामबास परवीन, मंरन प्रासकरम सुभ दीन ॥१६॥ ता सुत कुल मंडन परिमल्ल, बसै प्रागरे में तजिसरुल ।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy