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पातली नारए जाए ।मा०। कोमल स्वीए कठीसा ।सु०॥ स्त्री सुमुखी स्तन कालमुखाए मा०) बाहेर काबधा मादि तेरा ॥११॥ कठिण कालमुखा घणं, होइए मा० पण अर्थि त्मजि न लगार । काठिण थेइ नहीं टूटीयिए !मा कूपराए जाणो विचार सु०१२। जाणे कनकनी विध घडीए मा०। पातलाडी भली बेल ।।सु०॥ गिरिर म पण कोकर देश निरि बल सु॥१३॥ लावन्य सांपो कनक तणो ए मा०। अमृताए दमणा छोड़ ।। बेल बीला लागा लहूंए ।सुला ए मऊ कोतक कोड ।।१४। केटली स्तन सोभा कहूं ए ।मा० जागो ए मोटा राय ।सु०। प्रासमुद्र हूँ कर ग्राए ।मा० तेहनिमि कर देवाय ।।१०।१५।। कनक दंड समा मुज कहू एमाला कल्पवल्लीन वितान ।।सु०। लावी आंगली वली कोमल ए मा कर पालव समान ।सु०॥१६॥ कंठ सोभात्री रेखमूए ।मा०। देखीय वर्ष सुवर्ण । संख डकयो जलि जै पडयो ए मा । लाज्यु हृदय विशीर्ण ।।१७॥ हडवटी दरणं, छि पर ए माल चंद्रमाहि जसु नक्षत्र । दांत दाहिम कुली कहूंए ।मा०। रतन के मोती पवित्र ।।सु०।१८। नासिका मसिए सुक लहू ए ।मा। बेटो मोती घरेय ॥४॥ कान पासि ए भामर धनु ए ।मु०। ग्राह्य सूक कोंड्यो पण नउरेया ।।१६। अधर पाझांटी दूरडा एमा०। दांत दाडम कली जाण ॥१०॥ ए माहि पहिलू कहने ग्राह्य एमाग थरथई चीते वखाण ॥सु०२०) भाखडी कमलह पांखडी ए ।मा | माजी छि अपी पाल सुका अथवा राता कमल भरणं, ए मा० काला भमर छिवीसाल ।सु०॥२१॥ अथवा मछ युगम समीए !मान रहीषा लावण्य' सर मांहिं ।।। धीवर देखी पीडा घरे ए मा ए बहू अश्चर्य ठाह ।सुना२२॥ नयण शोभायए गंजीयाए ।मा०। खंजन बली चकोर ।सुका वनि भमंता हीडता ए मा० नागते जेम चोर ॥४०॥२३॥ अर्ध चंद्र समो सही ए सु०। तेह भालस्थल होय सु। नयण वाण भमरी धनु ए मा साधी कंपावय लोय ॥सुग२४।। कान ए काम हींदोलढा एमा०। अथवा नयन मृग पास ।। केस मारे जीकधा मोरहा ए मा तेरिंग पण घरघ बनवास ।।सु।।२५