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पाई अजीतमति एवं उसके समकालीन कषि
छौंकि कोई तिहां नहीं ए । कोय न रास भराध तु [] को किहिनि कसि नहीं ए । कोय न सीख देवाय तु ।।१३।। को कामि मोकलाय नही ए । फोय तीहां न तेडायतु ।। कोई स्तुति माबि नहीं गए । को काई नम्प खाय तु ॥१४॥ प्रण बोलाव्यु बोलि नही ए । नवि कोडाहुन थायतु ।। बोलाब्यु बोलि थीर थई ए । जारोह बुसू पसाय तु ।।१५।। को मूछि हाथ घालि नहीं ए । नध्य भमरी व चलाय तु ।। प्रत्रामरस वालिको नहीं ए । परताभ्यि कंप्या रांम तु ।।१६॥ पीत्रामा पिर सो रहा ए। लक्ष भट कोटीभट वीर तु | जरिय सभा सायर समी एं। वायु वीना थाइ धीर तु ।।१७।। छत्र उज्जल पीर सोभए । कनक कलस उत्तंग तु ।। नज प्रगाह चमर भलाए । नीरमल' गंग तरंग तु॥१८॥ वारंगना ढालि धणी ए । हुइ कंकरण झनकार तु ॥ रुपि प्रपछरा जीपती ए । ऊपि प्रतीही अपार तु ॥१६॥ अनेक राणाना भेटणए । प्राग्या लेख सहीत तु ।। विनय सहीत मंत्री बांदए । राय सुष्णु थीर चोत तो ॥२०॥ लेख सुखी प्रति उत्तर ए । देयू हूं धीर युध्य तु ।। मंत्र बटि गुप्ती करू ए । बाधि यमराज रीत्य तु ॥२१॥ क्षण एक कवित्त प्रलंकरपा ए । सुकवित्त तणां राणु चंग तु ।। क्षण एक बाद बीतांसनाए । सांभलू मनि तणि रंगतू ।।२।। क्षण एक नव रस नाटक ए । जोऊ भेद संगीत तु ॥ सारीगमपधनी सप्त स्वर ए । अनेक ताल भली रीत तो १२३॥ मुर्छना भेद भला लहू ए । नदमा नचावि पात्र तु ।। ताता थेई येई ऊपरे ए । नाचती मोडे गात्र तु ।।२४।। क्षए एक भाट भणीत भलाए । कबित रखा सुरसाल तु॥ वीर रस विविध परि ए। निज पराक्रम गुणमास तु ॥२५।। इन्द्रजाल वीर साधक ए | अंग साधक कला कोड तु ।। शस्त्र साधक श्रमजोउ ए । लहगुण अवगुणा मोड तु ।।२६॥