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________________ १९४ यशोधर राम सरू डालि एक वलगती । हीचती वारीवार । घगी तीहां बांधी हीदोगडा 1 जोड लहीवि अगार ।। ४५॥ लव कटी मम्बन्ला खलकती । घरती जाणे श्रुती सार ।। गावती गीत रसान । विशाल' ।। रति अवतार ||४६!! डाल बलगी कारें खांचनी । उठे विसे बहू बार ।। मुरत बीसरधो संभारती । करती नयन विकार ।।४७।। फगाभिर रही छान ख़ाचवा । सांचवा कुमुम अतुल ।। कंतें रसोली हसीबली । डान ऊछली पद्धयां फूल ।।४॥ जागोह रावू देखी लाजीया । लिऊ पाव्यु प्राज ।। डाल तालणतां एक चीर खस्यो । हस्यो तब सही सह राज ।।४६।। फूल मुकुट फूल टोडर ' फूल पछोडिपि राय ।। फूल परणा फूल बाटडी । गेडी फूल मामा ।५ । जाणे प्रतक्ष ए बसंत । खेलंतो वनदेवी साथ ।। वन कीडा करी नारमू। मारिदन सुरण नरनाथ ॥५१॥ सह नर नारी यह वोलि । खेले ए वनें वसंत ।। चंदेव केशर शांटेगां । वृकुम तिलक महंत ।।५२॥ हल टोडर वह परीमल । पसरे दस दिस सार ।। परीमल लाभीया भमरा । रणझण करी अपार ।।१३।। जल मूखडो कली दीठीय। पीठीन फूल पगार ।। वन कोडा श्रम 'फेडीस । तेत्रीय राणी सराग 1३५४।। स्वल करी मुखपरी छांदता । तूटता कमन सूवास ।। माहोमाहि घण भवतां । करतो हास विलास ॥५५।। जल खेलें इम नीसरया । पहिरघा वस्त्र विवेक । पहिरयां प्रनेक ग्राभूषा । दूषण नहीं अंगि एक ।। ५६।। नगर जावा सने सज थया। दाजिया विविध वाजिन ।। संभ्रम सहीत पुरी प्रावीयो । सोभा दीसि विचित्र ।१५७।।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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