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________________ १९० मशोधर रात यशोधर रामा एवं अमृता का जीवन प्रजालोक हर्षित सह, करिते मुझ मुणगान ।। मारीदत्त अवीधारीयि, जाणे पाम्यो नीचान ।।२।। समित क्षत्री राय पणा, मंत्री प्रादि परीवार ।। मझ तरणी प्रामन्या सिर वहि, प्रबल प्रताप विस्तार ॥३॥ अनेक राय भि वश करघा, रण मंगरण करी झझ ।। उपचीता रीपू वीटीग्रा, कोन लहिं मुझ गुझ ॥४॥ सुष्ट से पारण मनावया, दुष्ट से कीधु नाशि ।। मुझ नीसारण सुतडो, रिपु जननि पडि त्रास ||५॥ अनेक राजा तणी कुंपरी, परभ्यु हूँ उत्तंग ।। रूप सोभागि आगलो, तेह सूरमू मनरंग ॥६॥ अमृतमती सू अतिघणु, निसदिन रास दिलास ।। गुख भोग हूँ मनरमी, करतां कुतुहल हास ॥७॥ अमतमती कुखे हो, पर जसोमती नाम ।। दिन दिन ते मोटो हनी, रूप विलास गुण ठाम ।।८।। इम करतां दीम बहु गया, पाब्यु मास वसंत ।। अष्टाह निका व्रत प्राचार, मवि अग लोक महंत ॥६॥ भास वसंतनों फागुगनी, राग पंदोला गुडी लोक सवे उलसंत, वसंत सू प्राप्यु मास ॥ घिर घिर नारी कोज मणी, भामिनी गावि रास ॥१॥ मंत्रीयि मझ मन जाणीऊ, पारणीयो मन विवेक ॥ वसंत क्रीडानि काज, साथि कटक अनेक ||२|| हार्थीपि पाली बाडी, देवाडीय मंगल तूर ॥ निसारण नादे ऊमट्यो, ऊलटयो सागर पूर ॥३॥ अनेक सुजात वखाणी, पलाशीया चपल तोरंग ।। कीष धजा घणा संतरा, संघरमा रथ उतंग ।।४।। पालायो सर घसमसि, वमसि करि न लगार ।। पालखी अनेक सुखासन, रासनि काज अपार ।।५।।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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