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पशोधररास
विकट सुभट बिठा राषि तो० भ०। प्रायुध भनेक प्रकार तो ॥ कोतक करता कामीयो ।तो० भ०। केता कोडि जूइ सार तो ॥१७॥ नगर मध्य राय धवलहरा । तो०भ०|| एक बीस खणा उत्तग तो।। कनक कलस कोडामणा तो०भ०।। सोभा दीसि अती पंग तो।।११।। रातां रतन रग मंडार उपरितु तोम|| फटफत तरणो सोहि छम तो।। पाखलि फरती पूतली । सो०म०।। करय ते नाटा रंभ तो ।।१२।। । जाणे प्रतापरराय तरणो तु ।भ०। प्रश मंडित सोहंत तु ।। रतन मोती झूवरे करीतु ।भसभा मंडप सोहंत तो ।।१३।। महल मोटा माननी तणा तु तो भला पाखल फरती अनेक तु ।। रतन मेडी रलीग्रा मणी ।तोभन्। रचद्धि प्रती सुविवेक तो ॥१४ मुपेउ राज रडी।तो भा। कनके धड़ी जड़ी रत्न तो ।। रतन पेटी प्रति उरडि ।तोभ०। वस्त्र भूषण नहीं यत्नो तो ॥१५॥ अतः पुर घर अनी घग तो भा भरया सामग्री अपार तु ।। गुरव प्रत्राली जालीग्रां तु ।सो भ०। अगुरू सु धूप विस्तारतो ।।१६।। मारिएक शेफ सुर चाहूंटा लो।।मः| चुरासी दीसि दौसि च्यार नु ।। हाट अंग सोहि सारी ।तुभ०) भरां क्रीयांगपां अपार तु ।।१७।। उपलबद्ध मेडी घणी तुम०पंचवरण मणी चंग तो ।। चित्रामण मोती सिर ।।तोमा रंगत छि बहू रंग तो।।१८।। नांगोद श्रेण छि नवरंगी ।तो भला नागा अनेक प्रकार तो ॥ जह विरीउल जाणीइ । तो भला रतन तरणा झलकार तो ॥१६॥ सोहू ठसामपी ।तोमा सोना धढ़िया घाट अगायोत तु ॥ जडीया उत्त'ग मलि जडि तो०भ०। वनाहे दोसी अट दीसि भली ॥२०॥ वा अनेक छिमीण तो तो०भ०। बहू मूलक सेसा सासू ।। पटकोल मादि अरवीरा सो।। गंधी अरे मह पामीर । तो भा अनेक क्रीयारणा सार तो ।। नेसरी नबनीध्य जाणो तो०भ०| मनेक ध्यान अपार तो ॥२१॥ भनेक वस्त व्यापारीया। सोभा ठाम ठाम छि बखारितु ॥ एणी पिरि मोटा चोटों | तो०भ० भूलि चतुर नर मारि तो ।।२२।। अनेक वसि विवाहारीया तो भ०। वारया दारीद्र जेण तु ॥ मागणिनि वांछीत पीयितु ।तो०म० लीयि कीरत सु गुणेप तो ।।२३।।