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________________ बाई जीतमति एवं उनके समकालीन कवि मात भय थकी वेगलो । सात गुणस्थान ऊजलो 11 नीग्मलो सांत दांत दांत गुगा जेहनोए || सहीए ॥ ८॥ आठ ध्यानको ॥ सोहो जलो चीतवे धानमा निति दिन ए ॥ सहीए ॥ ६ ॥ घाट महा सिद्धि दायक | बाऊ महा रिद्धि नायक || गायक अमरी किनारी गुण बेहनाए । सहीए।।१०।। नव नयन नोरमल जाए । नवविध सील घरि सुख खां ॥ मन मारिए केवल सब्धि गुण ए || सहीए । ११३ । मुनि का उपदेश दश लक्षण धर्म प्रकाशि वस धर्म ज्यान मभ्यासे || प्रति भासे । दश दिसि जस विस्तोरी ए ॥ सहीए ।। १२ ।। अपार प्रतिमा उपदेसि । लहि श्रग्यार अंग विसेसि || नोसेसे बार अग श्रुत पाठक ए ।। सहीए ।। १३॥ बार भेद आरि । वार अनुप्रेक्षा मनधरि ॥ विस्तारि बार बरत श्रावक तरणाए || सहीए ।। १५ ।। तेर प्रकार चारित्र धारी। चौद मल तरो निवारी || क्षयकारी । पनर प्रमाद नो अति घर ए ।। सहीए ।। १५ ।। भावे सोले भावना । सत्तर संयम पालि पावना | सोहामणा । यम नीयम धार घुर लगि ए ॥ सहीए ॥ १६ ॥ प्रहार सहस भेद सील रात्रि । उगणीस जीव समास भाखे || नाय । दुष्ठ दोष वीहा मगाए || सहीए || १७ ॥ बीस मागंणा भेद कहि 1 एक बीस चोगुणा लक्ष गुण बहि ॥ गे सहि 1 बावीस परीसह दुरंधराए । सहीए ।। १८ ।। चौबीस जिन दिन दिन ध्याइ | पंचवीस कषायनि न वीठाय ॥ कविगाय अनुदिन गुरा एह मूनी तरणाए । सहीए । १६ ।। वरय मूलगुरण अठावीस । पाठक गुण घरे पंचबीस || छत्रीस | छे श्राचारज गुरण अलंकरया ए || सहीए || २० || एह प्रादि गुण प्रति वरणां । एह गुरुनें ले सोहामा || भामला | गुरु गुण गावें वेवेन्द्र कवीए ॥ २१ ॥ १४
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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