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________________ १४८ यशोधर राम व्हा खडग ऊघाडो झलकतो, बीज तणो झत्कार ।। केश कलायछि मोकला, जलधर सोभा धार ।।१।। मानव युगल लाने को प्राज्ञा कोटवाल राय तेडीयो, बंडकर्मा नस नास ।। मनुष्य युगम प्राण्यू नहीं, ए हवू सू तुझकाम ।।२।। राय नम्यो भयभीत तदा, कोटवाल ततकाल ।। मनुष्य युगमनि कारिणि, जण मोकल्या जिम काल ।।३।। ते चाल्या ऊतावला, दोहो दशधामि धीर ।। तीणि अवसरि तिहां यावया, मुनीसागर मभीर ।।४।। भास सामेरी माहिपण कहीयि, केदारा माहिपरण कहीयि मुनीचर्चा एक प्रात्मा ध्यान मन धरे । राग द्वेष दोए परहरि अनुमरे ।। त्रण्य रत्न अति नीरमलाए । सहीए ।।१।। याय गारव अण्य सन्य टालि । अण्य गुपति मुनिवर पालि ।। अजूमालि । घण्य प्रागमि करी त्रिभुवन ए । सहीए ।।२।। च्यार कषाय विहंडमा । यार बंध कोय खंडणो ।। मंत्रणो च्यार संघ तो घणं, ए कामहीए ॥३॥ पंच याचारिज रंजीउ। पंच ग्राश्रन वल मंजीउ || गंजयो पंचदीय दल दुरघरोए सहीए।।४।। पंच संसार दु.ख वारण। पांचमी गति सुखकारण ।। तारण पंच परम गुरूनित ध्याइए । सहीए ।।५।। षटकाय जीवरक्षण ! खटद्रव्यू कहि लक्षण विचक्षण ।। षरदर्शन जन जन प्रतिबोधवाए ॥सहीए।।६।। पटकालनी स्थिति लहि । श्रावकना षटकर्म कहि ।। मन मांहि सात तत्व चितन करें सहीए।।७।।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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