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________________ बाई अजीतमती एवं उसके समकालीन कवि श्रीषला नमसे देखिए, पांगला पावि पाय 11 बुधा सुधा चालिए, मूंका जिए गुण गाय ॥ १४ ॥ निरोगी फांकी निर्देशक रोग बहिरा गुण श्रवण सुखी, समोसरण मही माय ।। १५ ।। पोल छत्रीस सोहामणी, मणी तोरण गुणामाल ।। ठाम ठाम मोसी कां, मेडी मालीया सुविसाल ॥ १६ ॥ सुत्रधार तिहां धनपती, सुरपती माज्ञा तास ।। एक जिल्ला केम वर्ण, समोसरण सुख वास ॥१७॥ बार सभा मध्ये सही, जय सिहासन रंग ॥ बिठा जिनवर निर्मला, चतुरगिल उत्तरंग ॥ १८ ॥ दीठा स्वामी सोहामणा चोत्रीस प्रतिसयवंत || प्रातिहार्यंज कोडामरणा, हरपु राय महंत ॥ १६ ॥ श्रम प्रवक्षरणा देई नम्यो, पूजेषि भ्रष्ट प्रकार ॥ कर जोडी जिन वोरनि, स्तवन करि विस्तार ||२०|| मास त्रभ्यसनी महावीर स्तवन वीर जीनिस्वर विभुवन तार । जय जय स्वामी जगदाधार ॥ पाप संताप निवार || १|| नाथ वंस तो सगार । सिधारथ राय सुत जनि सार ॥ प्रीयकारणी मल्हार || २ || कुंडलपुर धरयो अवतार | बरस मेघ कनक मरिवार ।। नवबटमास अपार ।। ३ ।। सुरपती जिन के घरयो । चोणी काय देवि पर धरयो । सुरगिरि पिर संचरों ॥४॥ अनेक उछाह मंदरगिर पामी । याथा पंडु सिला पर स्वामी ॥ सुर सुरपति सिर नामी । . ५ ।। एक योजन मुख मरिमिजाण । भाठ योजन गंभीर बखार ॥ मागम को प्रमाण || ६ || सहस अष्टोतर कुंभ राज करया खीर सागर निर्मल जल भरया ॥ इंद्री तेलि करे बरमा || ७ || १३९
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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