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________________ यशोधर रास 1. रचयिता - देवेन्द्र कवि 2. राना कास -- संवत् १६३८ (सन् १५८१) 3. रचना स्पान - महुना नगर (गुजरात) संवत् १६४६ (सन् १५८७) ..पा यि प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर प्रतापगढ़ (राज.। * नमः सिम्यः । श्री सारदाई नमः । श्री गुरुभ्यो नमः । वस्तु छन्द मंगलाचरण श्री भुनिसुक्त जिनबि नमेवि, क्षेत्र करे जसु सुर निकर ।। गणहर मुनिवरे जेह पूजिय, तीर्थकर बीसमो जयो ।। भवीमण बेह वचनेहि रंजिय, छपतारतीस गुणि भंडियु ।। खंडीयो कुमत प्रसार । सो जिनवर मंगनकरो, त्रिभुवन सारण हार ॥१॥ थी जिन बदन कमल थकी, प्रगह वीस प्रसीष । सरसती सरस वचन दीयु, हंसगामिनी मति द्धि ॥१॥ गुम्सगरूपा गुरू ध्यायसू', 'पायसु सुमति सुभास । सयल सजन प्रानन्द करो, गासू यशोधर रास ।।२।। नयन पूजित त्रिभुवने, विक्षाता त्रिनेत्र । वेणा पुस्तक बारिणी, अपमाली पक्ष सुविचित्र ॥३॥ विविध वांछित परदायिनि, स्याहादिनि अगमाम । सेवक जननें सारदा, वांछित करो पसाय ।।।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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