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________________ आराधनासमुच्चयम् : १३७ पड़े अथवा भिन्न वर्ण की जमीन हो तो जहाँ से भिन्न वर्ण प्रारंभ हुआ है, वहाँ खड़े होकर प्रथम अपने सर्व अंग पर पिच्छी फिरानी चाहिए । भाषा समिति - झूठा दोष लगाने रूप पैशुन्य, व्यर्थ हँसना, कठोर वचन, परनिन्दा, अपनी प्रशंसा और विकथा इत्यादि वचनों को छोड़कर स्व-पर हितकारक वचन बोलना भाषा समिति है । स्व और पर को मोक्ष की ओर ले जाने वाले स्व-पर हितकारक, निरर्थक बकवाद रहित, मित, स्फुटार्थ, व्यक्ताक्षर और असन्दिग्ध वचन बोलना भाषासमिति है। मिथ्याभिधान, असूयाप्रियभेदक, अल्पसार, शंकित, संभ्रान्त, कषाययुक्त, परिहासयुक्त, अयुक्त, असभ्य, निष्ठुर, अधर्म-विधायक, देशकालविरोधी और चापलूसी आदि वचनदोषों से रहित भाषण करना चाहिए। यह वचन बोलने योग्य है अथवा नहीं, इसका विचार न कर बोलना, वस्तु का स्वरूप ज्ञात न होने पर भी बोलना, ग्रन्थान्तर में भी कहा है 'अपुट्ठोदुण भासेज्ज त्रासमाणस्स अंतरे' कोई पुरुष बोल रहा है और अपने को प्रकरण, विषय मालूम नहीं है तो बीच में बोलना अयोग्य है । भाषासमिति का क्रम जो जानता नहीं वह मौन धारण करे, ऐसा अभिप्राय है। एषणा समिति धर्मसाधन आदि से युक्त, कृती विकल्पों से ठंडे गरम आदि भोजन में राग-द्वेष रहित, समभाव कर भोजन करना एषणा समिति है । - गुणरत्नों को ढोने वाली शरीर रूपी गाड़ी को समाधिनगर की ओर ले जाने की इच्छा रखने वाले साधु की जठराग्नि के दाह को शमन करने के लिए औषधि की तरह अन्नादि आहार को बिना स्वाद के ग्रहण करना एषणा समिति है । देश, काल और प्रत्यय इन नव कोटियों से रहित आहार ग्रहण किया जाता है। उद्गमादि दोषों से युक्त आहार लेना, मन से, वचन से, ऐसे आहार की सम्मति देना, उसकी प्रशंसा करना, ऐसे आहार की प्रशंसा करने वाले के साथ रहना, प्रशंसादि कार्य में दूसरों को प्रवृत्त करना, एषणा समिति के अतिचार हैं। आदाननिक्षेपण समिति - ज्ञान के उपकरण, संयम के उपकरण तथा शौच के उपकरण व अन्य संथारा आदि के निमित्त उपकरण, इनको यत्नपूर्वक उठाना - रखना, यह आदाननिक्षेपण समिति है । ग्रहण और रखने में पीछी, कमण्डलु आदि वस्तु को तथा वस्तु के स्थान को अच्छी तरह देखकर पीछी से जो शोधन करता है वह भिक्षु कहलाता है; यही आदाननिक्षेपण समिति है। शीघ्रता से बिना देखे, अनादर से बहुत काल से रखे उपकरणों के उठाने रखने स्वरूप दोषों का जो त्याग करता है उसके आदाननिक्षेपण समिति होती है। जो वस्तु लेनी है, अथवा रखनी है वह लेते समय अथवा रखते समय इसमें जीव है या नहीं, इसका ध्यान नहीं करना तथा अच्छी तरह जमीन या वस्तु स्वच्छ न करना आदाननिक्षेपणसमिति के अतिचार हैं।
SR No.090058
Book TitleAradhanasamucchayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavichandramuni, Suparshvamati Mataji
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size10 MB
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