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अन्तर्द्वन्द्वों के पार
क्यों हो ? सेनाएँ क्यों मरें-कटें ? दोनों समर्थ हैं, आपस में टकराकर निर्णय कर लें कौन अधिक बली है, कौन जीतता है।" युद्ध को सीमित करने का, सद्बुद्धि को क्रोध और आवेश पर विजय पाने का यह पहला अवसर था। उन्होंने भाइयों के सामने तर्क रखा : - "युद्ध में हजारों-लाखों सैनिक मरेंगे, एक-दूसरे को मारेंगे, देश उजड़ेगा तो क्या इससे इक्ष्वाकुवंश का, दोनों भाइयों का, नाम ऊँचा होगा ? अहिंसा धर्म के प्रतिष्ठिापक भगवान आदिनाथ के होते हुए यह होगा?" बात दोनों भाइयों को भी जंच गयी । दो महाबलियों के पारस्परिक युद्ध के अभूतपूर्व दृश्य की कल्पना रोमांचक हो उठी।
दोनों पक्षों के राजा पंक्ति बांधकर आमने-सामने द्वन्द्व-युद्ध की रंगशाला में जाकर बैठ गये। दोनों भाइयों ने अपने बल, अपनी सामर्थ्य, युद्ध-विद्या के कौशल
और छिपी हुई शक्तियों को प्रयोग में लाने का निर्णय कर लिया है। एक प्रकार से अहिंसक युद्ध का क्रम निश्चित हो गया। पहले दृष्टि-युद्ध, फिर जल-युद्ध और अन्त में मल्ल-युद्ध । और, दिग्गजों की टक्कर का क्षण आ पहुंचा।
दृष्टि-युद्ध प्रारम्भ हुआ। नेत्रों का तेज परस्पर टकराया। देखना था किसकी पलकें झुककर बरोनियों से अपने प्रतिपक्षी का चरण छूती हैं । बाहुबली जीत गए। उनकी सेना ने तुमुल हर्षनाद किया। भरत की आँखों के आगे पराजय की कालिमा लहरा गयी। ____ इसके बाद जल-युद्ध की बारी थी। बहुत विशाल सरोवर था—योजनों लम्बाचौड़ा। दोनों महाबली योद्धाओं के योग्य । एक किनारे से दूसरे किनारे तक की दौड़ । जल में तरह-तरह के आसनों और मुद्राओं के साथ संतरण की सामर्थ्य की चुनौती! और फिर, हथेलियों में पानी भर कर बौछार का प्रहार ! बाहुबली पानी उछालते तो भरत का वक्ष और चेहरा आक्रान्त हो जाता, आँखें धुंधिया जातीं। भरत जल उछालते तो बाहुबली के वक्ष तक ही मुश्किल से पहुँच पाता । बात स्पष्ट थी । बाहुबली की ऊँचाई भरत से कहीं अधिक थी। और, जल-युद्ध में भी बाहुबली की विजय घोषित हुई।
पुन: आकाशभेदी जय-जयकार। दूसरी ओर भरत की सेना में श्मसान-सी नीरवता। भरत निराशा की सीमा पार कर, ज्वलन्त क्रोध की अग्नि-लीक में आ गये । किन्तु अभी तीसरा युद्ध शेष था।
मल्लयुद्ध । बाहुबली की विशाल काया। बलिष्ठ भुजाएँ । मांस-पेशियों का चट्टानों-सा उभार। भरत भी शक्ति के अवतार। दोनों दिग्गजों की भिड़न्त से धरा कांप गई। मल्ल-युद्ध के कौशल ने दर्शकों को चकित कर दिया । भरत, जैसे भी हो, इस दाव को जीतना चाहते थे। लेकिन, यह क्या ! पलक झपकते बाहुबली ने भरत को हथेलियों पर झुलाते हुए कंधों से ऊपर उठा लिया । अब क्या करें? जमीन