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________________ ' प्राचार्य सोमकीर्ति की कृतियाँ राजा रीसि षजु तोलि । अवरह माणस फेरि भोलि । ततक्षरण सनमुख जोईड ए ॥ ३८|| राज्य का तलवार उठाना साथ द्वारा प्राणीष देवा : " असीस । ब्रह्मचार तव देह राजन जीने कोडि वरीस | जम तोरु प्रति उजलु ए ।।१९।। जे मे महियल प्रतिघण निर्मल । ते ते जाणं धर्म तणु बल । तिरिण धर्म तो जय षणु ए ॥ ४० ॥ जे तसि राजा सुशी ग्रासीस । ले तलि मन थी उतरी रोज । वली वली साम्हं जो ए ॥ ४१|| राजा द्वारा परिचय पूछना सनमुख जोतांही इ विमासी । श्रवली बात होइ मोवासि । कुण थापक थी प्रावीयां ए ॥ ४२ ॥ इंद्र इन्द्राणी बेहू । यसीरति घुरि प्राविदेहू | चंदा रोहिणि सु मिलिए ॥४३॥ कई सुरयन‍ देव सरी | मारणस रूप न हूइ ईसु । कामि सहित मुरति हुइए ||४४|| भाणेज युगल ते कारण जाणी सहि गुरु केरी संभलि बाणी । लीभी दीक्षा तेइए ||४|| एसा निरदय पुण्यवंत घरे ये स्नेह उपनु मोरू चित्त । सुचित्त । प्रतिषणु ए ॥ ४६|| सबै अंगि । वररंगि । लिए ||४७ || राज चिन्हि दीसि सामुद्रक बोलिन ते ते सवि कहा 39
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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