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________________ प्राचार्य सोमकीति एवं ब्रह्म यशोधर कहि तुराज सरीरह कास । मुनिवर न करि कहिनी पास । राजा रूठउ सुकरि ए ॥२७॥ निश्चल हीयडु बिहुँ जराकीधु । सावधि अनसन ततक्षरण लीघु। ते तलवरइ सुभगि ए ।।२।। रह वेगला ती ब्रह्म प्राभडसु । मुनिवर छबतां नरम पडेसु । जिहां तेडु तिहां प्रावसु ए ।।२६।। दुर यका तलवर सविजाइ। पलिक जूडी मागलि थाइ । देवीमंडप नावीयां ए ॥३०॥ देवी मन्दिर की दशा : देवीय मंडप विषमु दीठउ ! ठामि ठामि बीहामणु ए॥३१।। प्रस्थितणा कोही डगर दीसि 1 अस्थि सिंघासणि जोगी बाइसि । अस्थि दण्ड ते कर लेइ ए ॥३२॥ अमिष तरणा गला अति पुरण । अमिष ठाम दीसिछि अतिषण । अभिष भषी पंषी चुरिगए ॥३३॥ रुधिर तणा तिहां अल प्राचार । रुधिर करी लीपि तिरणीवार । रुधिर जु कुंकुम मंडणु ए ॥३४।। मस्तिका तरणी दीसि रूमाल 1 जिह्वक तणा तिहां बंदरवाल । प्रांतर तोरण अति घणा स् ॥३५॥ तिरिण मंडपि दोर बालिक लेइ । तलवर राज प्रणाम करेइ । करजोडी इम वीनदिए ।।३६।। मंड्यां छद दोइ सनले लस्यरण । रूपवंतनि प्रतिहि विचक्षण । स्वाम प्रादेशि प्राणीयां ए॥१७॥
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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