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________________ प्राचार्य सोमकीर्ति २१ नारी निन्दा १६ वी १७ वीं शताब्दि में हिन्दी काव नारी निन्दा जनक पच अवश्य लिखते थे | प्राचार्य सोमकीर्ति ने भी अपने काव्य यशोधर रास में नारी निन्दा निम्न शब्दों में की हैं..-- नारी विसहर बेस. नर चंचेवाए घडी ए। नारोय नामज मेल्हि नारी नरक प्रतोलडीए । कुटिल पणानी खाणि, मारी नीचह पामिनीए । सांच न बोलि वाणि, वाधिए सापिरण प्रगनि शिखा । पर मांसगीय एह दोष निषाने पूरीउए ।। लेकिन एक दूसरे प्रसंग में कवि ने नारी की प्रशंसा भी की है-- सखी मारी बह गुणवंत कुल लक्षरण दायि भली रे । सात भूमि जे गेह राज दिधि मोरिम घरगी रे ॥ मश्यु के समय प्राचार्य सोमकौति के समय मृत्यु के पहिले गाय, भूमि, एवं स्वर्ण दान में देने की प्रथा थी। राजाओं का दाह संस्कार चन्दन से किया जाता था । ब्राह्मणों को भोजन एवं दान दक्षिणा देने की प्रथा भी थी। राज परिवार में श्राख होता था और उसमें प्राह्मणों को भोजन कराया जाता था। हिंसा दो प्रकार को होती है। एक भाव हिंसा एवं दुसरी द्रव्य हिंसा 1 मन में हिंसा का विषार मात्र ही भाव हिंसा कहलाती है फिर चाहे उसमें अपने हाथ से जीव हिंसा मरें या नहीं मरें । द्रव्य हिंसा साक्षात् प्राणिधात का ही नाम है । प्रस्तुत यशोधर रास की रचना छोटी से छोटी हिंसा के कितने भयानक परिणाम भुगतने पड़ते हैं इसी बात को दर्शाने के लिये की गयी है । राजा यशोधर स्वयं हिंसा में विश्वास नहीं करता । वह हिंसा कार्य से बचना चाहता है लेकिन अपनी मां के साग्रह से बह ग्राटे का कुकडा कुकडी बनाकर उनकी हत्या कर डालता है । इसलिये चाहे उसने वास्तविक जीवित कुकडा कुकडी को नहीं मारा हैं किन्तु प्राटे में फुकडा कुकडी की स्थापना करके उन्हें मारने का उपक्रम १. हाल छट्ठी २. दाल सातवीं
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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