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________________ प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर विवाद का प्रारम्भ विन्दोरी से होता है। घर-घर विन्दोरियां निकलती है तथा मंगलगीत माये जाते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां तेल चढ़ाती हैं । शांति विधान करती हैं | यशोच राजा नपरिवार तोरण मारने के लिये बरात सजा कर चलते है। उस समय दूध दान दिया जाता है। अब वा बेला नाही तो तोरण की विधि पूरी की जाती है। वर कन्या का मुख देखता है 1 वर कन्या का हाथ से हाथ मिलाया जाना है। हृधलवा होता है। जब हथलेवा छोड़ते हैं तो श्वसुर आशीर्वाद देता है । विवाह के पश्चात् वर वधु मन्दिर जाते हैं। इस प्रकार विवाह के सामाजिक दायित्व को पुर। किया जाता है । इसके पश्चात् जब वर-वघु घर पाते हैं तो सास स्वमुर उन्हें अहिंसा, सत्य, प्रचौर्य, ब्रह्मचर्य एवं परिग्रह व्रत के पालन की शिक्षा देते हैं। इसके साथ ही रामि को भोजन नहीं करने पर जोर दिया जाता है। धर्म अहिंसा मनि थरिए, मा० बोलिम कूडीय सासि ।। ११० ।। चोरीस बात मां करे से मा० परिनारी सही हालि । परिमाह संख्या नितु करिए, गुरुवाणी सवा पालि ।। १११ ॥ न्याय पाले लोकह सहए, रमरणीय भोजन वारि ॥ शिक्षा-अध्यापकों को उपाध्याय कहा जाता था। जन उपाध्याय होते ये। पांच वर्ष का होते ही यशोधर को पढ़ने भेज दिया गया था और पन्द्रह वर्ष की अवस्था तक वह पहना रहा था । उपाध्याय के पाम उसने किन किन विषयों का प्रध्ययन किया इसका निम्न पंक्तियों में विवरण देखिय-- वृत्तनि काव्य अलंकार तर्क सिद्धान्त प्रमाण । भरह नः छंब सुपिगल नाटक ग्रन्थ पुराण ।। ६६ ।। आगम यौतिष वैदिक हय नर पसुयलु जेह । त्य चैत्याला गेहनी गढ़ मढ करवानी तेह ।। ६७।। माहो माह विरोधी कठा भनाबीइ जेम । कागल पत्र समाचरी रसोयनी पाई केम ।। ६८ ।। इन्द्रजाल रस मेवजे खूपन झूमनु कम । पाप निवारण वाचन नत्तन नाछि जे मर्म ।। ६६ ॥
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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