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________________ बभित पई दहा यति मंझो मुनिवर प्रति मूकि मुखर नीसास | कुंभ वरांसि कामनि दिइ बालक गलि पास ।। १६६ ।। P हलवर करुणा हीड़ भरी देवी वालक फंद | मुनिवर कहि सुरिण कामनी, हृदय कमल थई अंघ K ॥ १६७ ॥ चपई मि देख्यु तुझ रूप असंभ, मोरु वित्त संस्यु जिम बंभ । सुरिश हो स्वामी कारण तेउ, मोह थकी नवि जायु भेउ ।। १६८ ।। तब मुनिवर पाम्यु वैराग, नयर माहि नहीं जादा लाग । न त तिथि की स्याग पग पग जोइ परवत भाग || १६९ ॥ चडयु तुगेश्वर परवत शृंगि, लीया नाम मन सुधि प्रसंग | पियु गिरिवर किंदर जाह, ध्यान घरी बिठु रिषिराइ ॥ १७० ।। वृषा काल वृक्ष मूले रहि, दंसमक परीक्षा बहु सहि । वरसि मेघनि वाजि बाय, अंगि उषाडुद्धि यतिराय ॥ १७१ ॥ शीतकाल सी दाजि बहू, हेम ता भर बहुमा सहू ! ठोरि नदीनि बालि रान, तिम तिम मुनिवर लाम्यु ध्यान ॥ १७२ ॥ ु उहाल लू उही वाय, तपन ताप तनु सह्य न जाय । द्वादश दमह परीसह कया, सीह तणी परि सुधा सा ।। १७३ ॥ उष्ण गीत वृष ह्नि काल, शरीर आदि सुख तज्यु' पंपाल । ध्यान प्रति तपसाध्या सार कर्म काष्ट जिणि दहा विकार ।। १७४ | संयम साध की धर्मध्यान, तजीय तन्नु गड श्रमर विमान स्वर पंचमि जाई स्थिति करी, अमर वधू जिरिए लीलांवरी ।। १७५ ।।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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