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________________ मामा सोमकीत एवं ब्रह्म पशॉवर जय जय कार करि बहु देव, अह निशि करि तम पाय सेव । वांइ मादल वंश कसाल, नाचि अपवर बहु विधि ताल ।। १७६ ।। जरा न प्रावि तिहां ते कदा, नवयोवन सुखसेवि सदा । कनक तेज जिमि झलकि काम, परिपूरण सवि कही आयु ॥१७७ ।। प्राधि व्याधि नवि पामि किसी, निरमल देह अमर तिहां तिसी। मनवांछित फल देव मार, से सहू धर्मतरण उपगार ।। १७८ ।। पूरबना तपणि प्रयोग, अमरी सरसावलसि भोग । ब्रह्म यसोधर दाषि कही, ते तु पुण्यि पदवी लदी ।। १७६ ।। चुथि काल तीर्थकर सार, अवतरसि सोइ भरह मझार । ध्यान करीनि मनरोधसि, लहीय ज्ञान भवीवरण बोधसि ॥ १० ॥ माति कर्मनु करीय विणास, मृगति क्षेत्र जाई करसि वास । धमतरपां फल एह ज जाणि, धर्म करता म करु काण ।। ११ ।। घरमि धन बहू संपजि, राजा रयण भंडार । धरमि जस महीयल फिरि, उत्तम कुल अवतार ।। १५२॥ घरमि मनचीत्यु फलि, दूरदेशान्तर जेह । हय गज रथ धिरि नित दसि, धर्मतणां फल एह ॥ १८३ ।। धमि नर महिमा हुइ, परमि लहीइ ज्ञान । घरमि सुर सेवा करि, धरमि दीजि दान ।। १८४ ।। धर्मतरणा गुण बहू अछि, ते बोल्या किम जाइ । चुगिफेरु टाल सि जे, धुरि धर्म दमाय ॥ १५ ॥ प्रशस्ति श्री रामसेन अमुक्रमि हुया, यसकीरति गुरु नाशि। श्री विनसेन पदि थापीया, महिमा मेर समारण ।। १८६ ॥ तास सख्य इम उच्चरि, ब्रह्मा यसोधर जेह । ड्रमंडलि दणीयर तपि, तारह रास चिर एह ।। १८७ ।।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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